October 24, 2009

आदमी की फ़ितरतें बदली नहीं हैं देखिए


कौन है जो कह सके कर ली तरक्की देखिए
आदमी की फ़ितरतें बदली नहीं हैं देखिए

राम रहमान दोनों हैं बहुत अमनो पसन्द
जिक्र-ए-मजहब हो कहीं, उनकी शराफ़त देखिए

स्वर्ण कंगूरे कलश तो देखिए ही, साथ में

नंगे
पुजारी और अधनंगे भिखारी देखिए


उम्रभर लडते रहे जिसकी रिहाइश के लिये
वह पलायन कर गया है देखिए ना देखिए

हमने जादू खूब देखे हैं महल में राह में
फ़िर भी पापी पेट ही मुद्दा रहा था देखिए

तुमने राखें और ताबीजें निकाली हैं बहुत
होरीअब भी मर रहा है कर्ज से ही देखिए

चल रहा है आज ही रफ़्ता-रफ़्ता नौनिहाल
पास ही रखिए अभी अपनी सिखावन देखिए

क्या हुआ आती नहीं बारह खडी भी बहरफ़
एक बच्चा मिल गया मेरी लियाकत देखिए

दोष मत देना उसे जो तुझसे आगे है बहुत
देखना है कुछ अगर अपनी जहालत देखिये

कारवां है अम्न का तू हमको कायर न समझ
कोई चालें न चलेंगी विघटनों की देखिए

ढूंढते हो क्यों यहां शेरे बब्बर नस्ल तुम
अब जमीं पे रह गये खालिस बगीचे देखिए

चौंकिये न देखकर खेल उनका राह में
काम पहले कर चुके हैं सर्कसों में देखिये

बुलबुले की जात हैं इनसे बच न पाओगे
फ़ट पडॆ हैं आज इधर कल उधर देखिये

ओट करके देखिये या सामने से देखिये
देखिये तो देखिये जी प्यार ही से देखिए

खैर मकदम कीजिए या गालियां ही दीजिए
दिल से मेरे सिर्फ़ निकलेंगी दुआएं देखिए

हों सुबह की बहर में या दोपहर में बेबहर
हम तो अपनी बात ऐसे ही कहेंगे देखिए


13 comments:

  1. बहर ...बेबहर ...कहते रहिये ..देख रहे है ...और भी देखेंगे ...
    अच्छी कविता ..!!

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  2. "क्या हुआ आती नहीं बारहखडी बाहरफ़,
    एक बच्चा मिल गया, मेरी लियाकत देखिये."
    बहुत सुन्दर शे’र. पूरी गज़ल ही सुन्दर.

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  3. bahut sateek kavita hai... kai samasyaon oar eksath prahar..

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  4. बुलबुले की जात है .... बहुत सुन्दर !!

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  5. bahut khub Arkjesh bhai. alag andaz. juda mas-ale. 7van, 8van aur aakhiri she'r to kafi achchhe haiN.
    Aap ghazal kahna jari rakhiye. bahar vagerha ek din khud-b-khud peechey chale aate haiN.

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  6. वाउ !

    हाय अल्ला, क्या गज़ल है !

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  7. zabardast ,jawab nahi padhkar aanand aa gaya ,aakhri kuchh line bahut shaandar hai .alag hi mood ki gazal .aesa lag raha hai wah-wah ke saath padhti rahoon .

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  8. wah! zabardast tareeke se ek alag andaaz mein hai yeh gazal.... waqai mein aadmi ki fitraten badli nahin hain.....

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  9. बहुत अच्छा प्रयास है आपका. मतले की दोनों पंक्तियाँ अगर उलट दी जाएँ तो मज़ा और भी बढ़ जायेगा. अर्कजेश आपको कामा, फुल स्टाप आदि का विशेष ध्यान रखना पडेगा क्योंकि आज की गजल इन पर बहुत कुछ निर्भर है. अर्थ कुछ के कुछ हो जाते हैं अगर इन्हें फालो न किया जाये.
    आपने कपिला जी की भाषा का अनुवाद किया, मेरे विचारों का समर्थन किया, धन्यवाद.

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  10. क्या कहूँ बस एक ही बात कहूँगीअद्भुत लाजवाब सुन्दर । बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें
    सर्वत जी शायद मेरी उस टिप्पणी की बात कर रहे हैं जो मैं जल्दी मी बिना देखे ही पोस्ट कर दी असल मे उपर देखे बिना लिख दिया शयद कैप्स लाक दब गया था
    शाम को किसी ने मुझे पढवाई तो हंसी के मारे बुरा हाल हो गया। आआपने सही की बहुत बहुत धन्य्वाद। अब उमर का भी तो कुछ तकाज़ा है कि नहीं फिर से धन्यवाद्

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  11. बेलौस बेखौफ मगर सलीके की यादगार कविता !

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  12. अच्छी कविता..सुन्दर.

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नेकी कर दरिया में डाल