December 31, 2012

काला दिन 30.12.12

वह लडकी जो एक प्रतीक बन चुकी है। समाज और प्रशासन की असंवेदनशीलता का। साथी ही हमारे तंत्र की असफलता का जिसकी वजह से उसकी मृत्‍यु हुई। 

कल न्‍यूज चैनल दिल्‍ली की चलती बस में हुए बलात्‍कार पीडित की मृत्‍यु पर शोक और आक्रोश व्‍यक्‍त करने गए प्रदर्शनकारियों को कम ही दिखा पाई। वह लडकी जिसे दामिनी अमानत और भी कई छद्म नाम दिए गए, देश भर में महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन अत्‍याचार पीडितों की एक प्रतीक बन गई है।  

December 18, 2012

रेप कैपिटल

दिल्‍ली क्राइम कैपिटल से और विशेषीकृत होकर रेप कैपिटल बन गई है। इस शहर में महिलाओं से होने वाले दुर्व्‍यवहार के ऑंकडे देश के अन्‍य शहरों से बहुत ऊपर हैं।

रेप एक घिनौना शब्‍द है। यह शब्‍द हमें शर्मसार करता है। एक सभ्‍य समाज में इस शब्‍द के प्रयोग करने की आवश्‍यकता नहीं पडनी चाहिए। लेकिन दुर्भाग्‍यवश इस घटना से संबंधित छोभ और आक्रोश व्‍यक्‍त करने के लिए भी शब्‍द का प्रयोग करना पडता है। हर घटना के बाद टीवी चैनलों पर वही-वही बातें, तर्क, दलींलें देखकर घिन होने लगती है। 

December 14, 2012

फूट डालो जमे रहो

कई दिनों से कॉलोनी में ऑटोरिक्‍शा में कांग्रेस-भाजपा के प्रचार वाले भोंपू बजाते आते रहते हैं। उनमें कभी रिकार्डेड गाने लगे होतें हैं, कभी कोई माइक थामे बैठा रहता है। कभी-कभी तो मिडिल क्‍लास वाले स्‍कूली लडके भोंपू पर चिल्‍लाते बैठे रहते हैं।  लेकिन इन भोंपुओं की आवाज इतनी भोंडी होती है कि कुछ समझ में नहीं आता कि चिल्‍ला क्‍या रहे हैं।