December 17, 2009

काल्पनिक दोस्त को एक काल्पनिक पत्र

अप्रिय ,
नाराज दोस्त , gatai

मैं चाहता हूँ कि बनावटी भाषा का प्रयोग न करुं और तुम्हें याद करुं । इसलिए यह पत्र लिख रहा हूं । यदि तुम्हे लगे कि इस पत्र में कोई बात झूठ है या पूरा पत्र ही काल्पनिक है या मैं यह सब तुम्हे
‍‍‍ ‍‍चिढाने के लिए लिख रहा हूं तो तुम ऐसा मानने के लिए स्वतंत्र हो ।

मुझे पता होता कि तुम बात करना बंद कर दोगे तो मैं तुम्हे इतनी आत्मीयता से कभी नहीं गरियाता, बल्कि और ज्यादा आत्मीयता से यह काम करता । यद्यपि तुम नॉनवेज हो फिर भी मैंने तुम्हे सिर्फ वेज गालियॉं दीं । शायद इसीलिए तुम खफा हो गए हो , आगे से इस बात का ख्याल रखूँगा ।

जब से तुमने मुझसे बात करना बंद किया है । मैंने बहुत सुकून महसूस किया है, इसके लिए मैं क्षमा चाहता हूँ ।
तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे और अब बहुत अच्छे नाराज दोस्त हो । उम्मीद है कि हम अपनी दोस्ती को भूले बिसरे गीत की तरह कभी याद करेंगे । इसके लिए जरूरी है कि तुम इस बात को भूले - बिसरे बनने तक धैर्य धारण करो !

मेरे मन में तुम्हारे लिए वही प्रेम है जो पहले था । बल्कि तुम्हारे दूर चले जाने की वजह और ज्यादा इजाफा हो गया है । मेरी वजह से तुम्हे जो तकलीफ हुई (?) उसकी भरपाई में माफी मॉंगने के अतिरिक्त और किया भी क्या जासकता है । तो मैं तुमसे बकायदा माफी मॉगता हूँ । यदि अभी तुम्हारे पास माफी का स्टॉक न हो तो जब हो, तब देदेना । यदि सप्लाई जल्दी चाहिए तो मेरे पास काफी स्टॉक पडा हुआ है , ले लेना । फिर मुझे दे देना ।

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मुझे कोई जल्दी नहीं है । मुझे यकीन नहीं होता कि तुम मुझसे नाराज हो जाओगे । यदि वाकई में नाराज हो तब तो कोई बात नहीं । यदि नहीं हो और बात करने का मन करता है और बात नहीं करते तो फिर मुझे कुछ दिन की झूठी ख़ुशी देकर आदत खराब करने से कोई फायदा नहीं । खैर जो भी हो दिल साफ होना चाहिए । दिमाग तो तुम्हारा पहले से साफ है ही । ईश्वर को भी एक वही चीज मिली थी साफ करने को । खैर जो है सो है । किया भी क्या जासकता है । विश्वास है कि आदत के अनुसार तुम्हे जल्दी सदबुद्धि नहीं आयेगी ।
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आशा है तुम कुशल और कुढे हुए होगे । साथ ही अपनी हद में आने वालों को अपनी दोस्ती का शिकार बनाते रहोगे दवाइयां समय से लेते रहा करो । समय से दवाइयॉं लेते खाते रहना ही तुम्हारी बीमारी को नियंत्रण में रखने काएकमात्र उपाय है । यद्यपि तुम इसे बीमारी मानने को तैयार नहीं हो । लेकिन यह बीमारी ही ऐसी है कि इसमें अगला अपने को बीमार नहीं समझता ।

आशा है स्थिति में जल्दी ही सुधार होगा । यदि कभी झटका उपचार की जरूरत पडे तो मुझे याद कर लेना ।

तुम्हारी दोस्ती का भूतपूर्व शिकार
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पुनश्च: इसी पत्र से एक ब्लॉग पोस्ट बना रहा हूँ । तुम्हे धन्यवाद । कृपया अन्यथा ले लेना । यद्यपि तुम ब्लॉगिंगनहीं करते फिर भी किसी विघ्नसंतोषी के भडकाने से पोस्ट को पढ भी लिया तो उचित मात्र में बुरा मान सकते हो ।मुझे कोई नहीं है ।


babai

24 comments:

  1. विचारों का ऐसा अद्भुत साम्य -मैं तो हतप्रभ हूँ ! यह कैसे संभव है ?

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  2. मैंने सुना है कि आपके दोस्त ने ख़त पढ़ लिया है और अपने मनोचिकित्सक के साथ आपकी तरफ कूच कर गया है.......बैस्ट आफ लक..

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  3. कही यह खत सही पते पर पहुन्च तो नही गया आखिर किस बात पर अरविन्द जी हत्प्रभ हो गये

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  4. मैने आपका ये पत्र सही जगह पहुंचा दिया है. आपके उस नाराज़ दोस्त ने भी आपके लिए कुछ दवाइयां (@@)भेजी हैं. अपना पोस्टल एड्रेस बता दें ताकि दवाइयां जल्द पहुंचाई जा सकें. (वैसे ये है कौन?)
    आपकी विघ्नसंतोषी मित्र
    वन्दना

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  5. सचमुच मैं भी हतप्रभ हूँ..... बहुत अच्छी पोस्ट.... लगी...

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  6. कितना प्रेम है आपको अपने मित्र से. आँख भर आई. :)


    आपको सुकून मिला तो क्षमा काहे मांग रहे हैं, आभार कहिये.... :)

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  7. @लगता है यह पत्र अभी भी गंतव्य को ढूंढ रहा है!

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  8. हा हा.. मस्त लैटर लिखेला है.. बोले तो एकदम रापचिक..

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  9. is vidha men likhna bahut mushkil hota hai kisi ko rulana asan hai hansana bahut kathin mera to is vidha se keval padhne bhar ka vasta hai likh to main sati hi nahin

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  10. bahut hi shaandar aur saath hi vandana ji ke uthaye sawal par meri bhi sahmati hai utni hi ,

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  11. दिल के बेहतरीन भाव उतार दिए दोस्त को नकली ख़त के जरिये, बहुत सुन्दर !

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  12. आपसे नराज मित्र एक ही हैं न!
    मुझे तो लग रहा है कि अनेक हैं...
    सभी को एक ही तीर से शिकार कर दिया!
    कुशल खिलाड़ी लगते हैं आप.

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  13. अरविन्दजी के कमेन्ट से तो यही लग रहा है कि ख़त सही जगह पहुँच गया ...:)..
    वैसे इस ख़त ने बहुत लोगो को हिम्मत प्रदान कर दी होगी ऐसा ही ख़त लिखने की ...!!

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  14. बहुत अच्छे खत लिखते हैं आप ......... देखिए कितने जवाब आ गये .........

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  15. बहुत ही बेहतरीन रचना
    बहुत बहुत आभार

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  16. कई दिनों से आपकी टिप्पणियां अपने प्रिय ब्लौगरों की पोस्टों पर देख-देख कर आपसे प्रभावित रहा था और सोच रहा था कि समय निकाल कर खूब पढ़ूं आपको।

    ...और अब जो पढ़ता हूँ तो लेखनी का तिलिस्म अपने गिरफ्त में ले लेता है। ये कालप्निक पत्र और ब्लौगिंग का ये अंदाज खूब भाया।

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  17. काल्पनिक.....हाय, ये टंकन-त्रुटि!

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  18. अरे अर्कजेश जी क्या बात हो गई .....कौन सिरफिरा था वो .....कुछ अता पता तो बता दिया होता .....???

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  19. क्या पत्र लिखा है सरजी मज़ा आगया ।एक पैराग्राफ़ पढो , फिर समझो और फिर पढो तब ही व्यंग्य पढने का आनन्द है ।"मै और ज्यादा आत्मीयता दिखाता ""बात बन्द करने पर सकून महसूस करना ,प्रेम पहले भी था दूर जाने से बढ गया ,माफ़ी देना न हो तो मेरे पास से लेकर देना "क्या बात है सरजी।""दिल साफ़ होना चाहिये दिमाग तो पहले से ही साफ़ है ,मज़ा आगया (डक्टर एक्सरेड माइ माइन्ड एन्ड फ़ाउन्ड नथिंग)""यध्यपि तुम इसे बीमारी मानने तैयार नही हो इस पद मे मानसिक रोग का बखूबी चित्रण किया है ,झटके की जरूरत का भी अहसास करा दिया ।पत्र के रूप मे प्यारी पोस्ट ।

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नेकी कर दरिया में डाल