December 02, 2009

एड्स : एक नई सुबह की ओर !

रात्रि का अंतिम पहर बीत रहा था रात और पूरे कमरे में अंधकार का एकछत्र राज् कायम था जीरो वाट का छोटा सा लाल बल् अपनी पूरी ताकत से कमरे को रोशन करने का प्रयास कर रहा था छत पर लगे हुए पंखे की पंखियॉं अपनी परिधि में लगातार अनगिनत चक्कर लगाती हुई, अपने नीचे सोते हुए एना और उसके पति को इस निविड अंधकार में ख़ामोशी से देख रही थीं गहन निद्रा के इस क्षण में एना के कानों में एक फुसफुसाहट की आवाज सुनाई पडी एना को बहुत आश्चर्य हुआ और उसने इस आवाज के स्रोत को जानने की कोशिश की लेकिन यह एक रहस् था

"मम्‍मी... मम्‍मी क्‍या हुआ, चौंक गईं ? मैं तुम्‍हार साथ और तुम्‍हारे पास हूँ मम्‍मी । वास्‍तव में मैं तुम्‍हारे शरीर का ही एक हिस्‍सा हूँ ।"

एना के आसपास कहीं एक बच्‍ची की आवाज गूँजी । एना आश्‍चर्यचकित थी , उसने अपने चारों ओर किसी की मौजूदगी को देखने की कोशिश की । लेकिन उसका संदेह और चिंता और बढ गई क्‍योंकि यह आवाज उसकी जानी पहचानी आवाजों में किसी से मेल नहीं खाती थी । कौतुक को बढाते हुए वह आवाज एक बार फिर से एनी के कानों में तरंगित हुई ।

"हेलो मम्‍मी, मैं एमिली हूँ ।"

"मैं एमिली नाम से किसी को भी नहीं जानती और फिर तुम मुझे मम्‍मी कैसे कह रही हो ।" एना ने हकलाते हुए पूछा ।

"हॉं, मैं तुम्‍हारी बेटी हूँ ।"।

"बेटी?"

"हॉं, मैं तुम्‍हारे गर्भ में पल रही भ्रूण हूँ ।" एमिला ने बहुत ही कोमल आवाज में बताया ।

"अच्‍छा, अच्‍छा हॉं" एना की बढी हुई धडकनें सामान्‍य हो गईं और वह अपने आप पर लौटती हुई सी लगी ।
"आखिर तुम मुझे संसार में क्‍यों नहीं लाना चाहती हो और मुझे सूरज के उज्‍जवल प्रकाश को देखने से क्‍यों वंचित करना चाहती हो ?"

"यह एक राज है मेरी प्रिय एमिली और यह एक बहुत ही तकलीफदेह निर्णय.....।" एनी ने सिसकते हुए कहा ।

"मम्‍मी, मत रोइये । आप सिर्फ मुझसे बात कीजिए और मेरे सवालों का जवाब दीजिए । मुझे यकीन है कि इससे आपको काफी राहत मिलेगी ।" एमिली ने अपनी मॉं को सांत्‍वना देने का प्रयास किया ।


"हॉं, एमिली..., मैं नहीं चाहती कि इस कलंक के जाहिर होने के बाद दुनिया तुम्‍हारा उपहास करे और तुम्‍हे घृणा की दृष्टि से देखे ।"

"कैसा कलंक?"

"ओह एमिली तुम सवाल करना बंद नहीं कर सकती हो ?" एनी ने खीजते हुए कहा ।

"मम्‍मी, तुम मुझे सवाल पूछने से मना कर रही हो । ठीक है । लेकिन मम्‍मी, जरा मेरे बारे में भी सोचिए । यह मेरे लिए जीवन और मृत्‍यु का प्रश्‍न है और आप मुझे चुप रहने के लिए बोल रही हो । इस दुनिया में आने से पहले ही तुम मुझे मेरे प्रश्‍न पूछने के मूलभूत अधिकार से वंचित कर देना चाहती हो । तुम्‍ही बताओ क्‍या यह उचित है, मम्‍मी ?" एमिली ने पूछा ।

"ओह, एमिली कभी-कभी चुप रहना ही बेहतर होता है"

"लेकिन क्‍या ऐसे समय में जब मैं तुम्‍हारे गर्भपात करवाने के फैसले की वजह से हमेशा के लिए मिट जाने वाली हूँ , चुप रह सकती हूँ ? बोलो मम्‍मी...., क्‍या मैं चुप रह सकती हूँ ?" एनी ने परेशानी और उत्‍तेजना से कहा ।

"मेरी प्रिय एमिली सुनो। मैं तुम्‍हे तुम्‍हारे जीवन के बारे में कुछ बताने जा रही हूँ । अपने जीवन को बचाने के लिए केवल तुम ही यह लडाई नहीं लड रही हो , बल्कि हम (मैं और तुम्‍हारे पिता) भी अपने जीवन को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं । क्‍योंकि मृत्‍यु का डरावना काला साया हमारे ऊपर '‍डेमोक्‍लीज की तलवार ' की तरह लटक रहा है ।

"तुम भी मम्‍मी ? क्‍यों , क्‍या हुआ ?

"एमिली, ओह, एमिली मैं यह सब तुम्‍हारे साथ कैसे साझा करुँ । लेकिन जब मौत सामने है तो मैं चुप भी तो नहीं रह सकती । मैं तुम्‍हे वह सब बाते बताऊँगी जो हमारे साथ जुडी हुए इस क्रूर जाल और सामाजिक कलंक से संबंधित हैं । "

"आपको क्‍या हुआ मॉं ?" मैं आपकी बातें समझ नहीं पा रही हूँ । आप मौत से क्‍यों जूझ रही हैं । "

"देखो, एमिली । मैं और तुम्‍हारे पापा दोनों ही इस आसन्‍न मृत्‍यु के लिए जिम्‍मेदार हैं । मैं तुम्‍हारे पापा से छह महीने पहले एक डिस्‍कोथेक में मिली । धीरे-धीरे हमारे बीच नजदीकियॉं बढती गईं । हम दोनों एक-दूसरे से मिलते रहे और मिलने का यह सिलसिला आगे बढता गया । वक्‍त गुजरने के साथ हमने शारीरिक संबंध भी बनाए ।"

"हुँ ... , तो क्‍या हुआ ?"

"बाद में हमने शादी कर ली , इस तरह हमने जीवन में एक नई शुरुआत की । हमें एक दूसरे पर विश्‍वास था और हम एक-दूसरे की खुशियों और गम के साझीदार बने । जीवन दाम्‍पत्‍य के प्‍यार और हँसी-खुशी के हल्‍के फुल्‍के क्षणों के साथ सहजता से बीत रहा था । हम खूब आनंदपूर्वक साथ साथ रहे और हमारे प्‍यार के परिणाम स्‍वरूप जब तुम मेरे गर्भ में आयीं तो हमें पता भी नहीं चला । लेकिन गर्भ के भीतर इस तरह के क्रियाकलाप ज्‍यादा दिन छिपे नहीं रह सकते । तुम्‍हारे आने का पता मुझे चला और फिर तुम्‍हारे पापा को यह बात मालूम हुई । हमने तुम्‍हारी उपस्थिति को सुन‍िश्चित करने के लिए परीक्षण करवाया ।"

"दिलचस्‍प"

"लेकिन यह ठीक ही कहा गया है कि खुशियॉं स्‍थाई नहीं होतीं "सुख पल दो चार, फिर हाहाकार" और ईश्‍वर खुशियॉं छीनने की ताक में हमेशा रहता है । हमारी खुशियों का महल शायद बहुत ही कमजोर नींव पर रखा गया था जो कि नाइनपिन के खेल की तरह बिखर गया"

"इस बीच क्‍या हुआ ?"

"एक बार तुम्‍हारे पापा के ऑफिस के एक कर्मचारी की दुर्घटना हो गई । उस व्‍यक्ति को दुर्घटना में गंभीर चोटें आयीं और उसके शरीर से काफी खून बह गया । उसे तुरंत खून देने की जरूरत थी और ऑफिस के किसी भी व्‍यक्ति का रक्‍त समूह दुर्घनाग्रस्‍त व्‍यक्ति के रक्‍त समूह से मेल नहीं खा रहा था । यहॉं तक कि रक्‍त बैंक में भी उस रक्‍त समूह का रक्‍त नहीं था, क्‍योंकि उस व्‍यक्ति का रक्‍त समूह बहुत ही दुर्लभ प्रकार का था । लेकिन जब तुम्‍हारे पापा को खून की जरूरत के बारे में पता चला तो वह खून देने के लिए राजी हो गए । पीडित व्‍यक्ति को रक्‍त देने से पहले उनके रक्‍त के कई अनिवार्य परीक्षण किए गए । यह एक खेद और कलंक का विषय था कि उनका रक्‍त एलिसा टेस्‍ट में असफल रहा । इस खुलासे को सुनकर वह बिखर गए और साथ ही हमारे जीवन की नई शुरुआत भी ।

"कैसे मम्‍मी ?"

"उनका रक्‍त परीक्षण पाजिटिव होने का मतलब था कि वह एक घातक वायरस के वाहक बन चुके हैं । इस बात का डर था कि मुझे और तुम्‍हे भी इस वायरस का संक्रमण हो गया हो । मेरा परीक्षण भी पॉजिटिव निकला और प्रिय एनी तुम भी इस वाइरस से संक्रमित हो चुकी थी । हे भगवान ! काश हमने तुम्‍हारे बारे में न सोचा होता । और इस तरह एड्स के खिलाफ एक असफल लडाई की शुरुआत हुई । हमें पता था कि हम इस विपत्ति से सफलतापूर्वक बाहर नहीं आ सकते हैं लेकिन फिर भी हमें इसके खिलाफ युद्ध जारी रखने के अलावा कोई चारा नहीं था "

"अच्‍छा" एमिली ने कहा ।

"और अब जब हम खुद ही मृत्‍यु के साथ जीवन जी रहे हैं और उसी के साथ शयन कर रहे है तो यह हमारे लिए उचित नहीं था कि हम तुम्‍हे इस दुनिया में लाकर एक भयावह मौत मरने के लिए छोड दें । "

"आप क्‍या सोचती हैं कि वाइरस का संक्रमण आपको पापा से हुआ या यह पहले से आपके शरीर में निष्क्रिय रूप में मौजूद था ।"।

"मतलब"

"हॉं, मम्‍मी" जब आप मुझे सारी बाते बता रही हैं तो आपको अपने डिस्‍काथेक के जीवन के बारे में भी मुझसे कुछ नहीं छुपाना चाहिए । मुझे पता है कि लोग डिस्‍कोथेक में अपना समय बिताने के लिए जाते हैं और ड्रग्‍स के जहरीले प्रभाव में नाचते और डोलते हैं ।" एमिली न‍े कहा ।

"हॉं मैं एक ड्रग्‍स लेने वाले समूह की सदस्‍य थी । हम अकसर डिस्‍काथेक के बंद हो जाने पर इकट्ठे होते थे और ड्रग्‍स के इंजेक्‍शन लिया करते थे । कभी कभी हम झूमा भी करते थे क्‍योंकि ड्रग्‍स का प्रभाव ही ऐसा होता है जो सबको सिर से पॉंव तक झूमने पर मजबूर कर देता है । "

"अच्‍छा, मैं समझी ।"

"हॉं एम्‍मी, मैं तुम्‍हारे पिता के प्‍यार की बारिश की बौछारों से पूरी तरह भीग चुकी थी । मैंने ड्रग्‍स से अरुचि दिखाना शुरु कर दिया । लेकिन यदि एक बार तुम ड्रग्‍स के कीचड में गिर गई तो और और ड्रग्‍स लेने की चाह हमेशा इंसान को इस कीचड में धंसते रहने पर मजबूर करती रहती है । इसलिए मैं एक पुनर्वास केन्‍द्र में शामिल हुई और बहुत सी कठिनाइयों के बाद मैं ड्रग्‍स की कालकोठरी से मुक्ति पा सकी ।" एना ने बताया ।

"बहुत अच्‍छा मम्‍मी, लेकिन ...." एमिली कहते कहते रुक गई ।

"क्‍या बात है एमिली .... क्‍या तुम कुछ और पूछना चाहती हो ?"

"हॉं... मम्‍मी । तुमने बताया था कि पापा को एड्स था , लेकिन क्‍या तुमने उनसे पूछा कि वह इस घातक सिंड्रोम से की गिरफत में कैसे आए?"

"तुम कहना क्‍या चाहती हो, एमिली?"

"मुझे काफी हद तक यकीन है कि पापा को एड्स का यह वाइरस तुमसे मिला है क्‍योंकि तुम आईवीडीयू (Intra-veinous Drug Users.) थीं”

"नहीं, मैं एडस के विषाणु की वाहक नहीं थी बल्कि मुझे यह बीमारी तुम्‍हारे पिता से मिली है" एना ने विश्‍वास पूर्वक कहा ।

"क्‍या शादी के पहले आपने जॉंच करवायी थी ?" एमिली ने पूछा ।

"नहीं मुझे इसकी कोई आवश्‍यकता नहीं थी ।"

"अच्‍छा, मैं समझी" एमिली ने एक गहरी सॉंस ली और कहना जारी रखा । "लेकिन आप ये कैसे कह सकती हैं कि यह बीमारी आपको पापा से ही मिली?"

"क्‍योंकि मेरे आने से पहले तुम्‍हारे पापा की जीवन शैली बहुत ही लापरवाह किस्‍म की थी । वह अपनी कामवासना की आग बुझाने के लिए अकसर चकला घरों में जाया करते थे । वह असुरक्षित यौन संबंधों का स्‍वतंत्रतापूर्वक आनंद ले रहे थे । और यह आदत तुम्‍हारे पिता के दैनिक जीवन का हिस्‍सा बन चुकी थी"

"मतलब मिलने के बाद आप दोनो ने अपनी पिछली जिंदगी से वापस लौटने की कोशिश की? लेकिन दुर्भाग्‍य से संबंध इतनी गहरी जडें जमा चुका था कि कहा जा सकता है कि उस वक्‍त तक अमेजन से बहुत सा पानी बह चुका था , है न ?

"हॉं प्रिय, तब तक बहुत देर हो चुकी थी । लेकिन यह समय अब एक दूसरे को दोष देने का नहीं है, बल्‍क‍ि साथ-साथ प्रकाश की दिशा में बढने का है । दुर्भाग्‍य से आगे सिर्फ अँधेरी सुरंग का वृहद विस्‍तार दिखाई पडता है, जिसमें मृत्‍यु का शैतान हमारी ओर बढता चला आ रहा है । दुख की बात यह है कि उस अंधेरी सुरंग के दूसरे छोर पर कोई भी प्रकाश पुंज नहीं दिखता ।" एना ने सिसकते हुए कहा ।

अब वहॉं पर एक खामाशी छाई हुई थी क्‍योंकि एमिला ने इस बार बातचीत को आगे बढाने के लिए कोई भी प्रश्‍न नहीं किया ।

"एमिला.... एमिला सो गई क्‍या मेरी बच्‍ची ?"

"नहीं नहीं मम्‍मी , मैं गहरी सोच में डूब गई थी" उसने उत्‍तर दिया ।

"हमारी मृत्‍यु तक तो बात ठीक थी लेकिन हम तुमसे प्‍यार करने की वजह से ही तुम्‍हे दिन के प्रकाश में लाकर मौत के मुँह में नहीं डाल सकते । यही वजह है कि हम तुम्‍हारा गर्भपात करवाने जा रहे हैं ।"

"दया ... मेरी मॉं, दया ! मैं जानती हूँ कि अँधेरे ने तुम्‍हारे जीवन का सारा प्रकाश ग्रस लिया है । लेकिन मैं तुमसे अनुरोध करती हूँ कि तुम मेरे जीवन को गर्भ में समाप्‍त करने का अपराध मत करो । मेरा पालन-पोषण करों, मुझे प्‍यार करो, मुझे दुलार करो , लेकिन भगवान के लिए मुझे मृत्‍यु का आशीर्वाद मत दो" एमिली ने सिसकते हुए कहा ।

"मत रो मेरी बच्‍ची, मत रो । लेकिन अंतत: यदि तुम्‍हारे शरीर में घातक विषाणु की पहचान हो जाती है , जो कि अभी हमें नहीं मालूम है तो तुम्‍हे एक डरावनी कलंकित जिंदगी जीनी पडेगी, यह हमें पसंद नहीं है । इसीलिए हमने तुम्‍हे जन्‍म से पहले समाप्‍त करने का कठोर निर्णय किया है । "

"फिर से विचार करो मॉं यह निर्णय लेने से पहले दो बार और सोचो । मैं तुमसे फिर से अनुरोध करती हूँ कि तुम मुझे इस बीमारी और मृत्‍यु के संसार में आने दो । एक टिमटिमाता हुआ प्रकाश पूरे कमरे के अंधकार को भगा देता है । जन्‍म के बाद मैं इस बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाने का काम करुंगी । मैं लोगों को इस बीमारी और मृत्‍यु के साथ जीवन जीने वालों की कहानी सुनाऊंगी । मैं इस बीमारी से लडने के लिए एक आंदोलन शुरू करूंगी । चिकित्‍सा विज्ञान इस बीमारी को समाप्‍त करने के लिए दिन रात काम कर रहा है । कौन जानता है कल मेरे और मेरे जैसे अनगिनत लागों के लिए कोई उपचार और जीवन हो । सफलता की चिंता किए बिना मैं इस क्षेत्र में कार्य कर रहे संगठनों के साथ काम करुंगी । "

"बहुत खूब, एमिली । तुमने मेरी ऑंखें खोल दीं । जो होगा देख जाएगा , अब मैं यह सुनिश्चित करुंगी कि तुम इस दुनिया में आओ और अपना जीवन एड्स के क्षेत्र में एक मिशनरी बनकर सेवा करते हुए व्‍यतीत करो । "

"कृपया मुझे माफ कर दो मेरी बच्‍ची , मुझे माफ कर दो । तुमने मुझे एक घृणित अपराध करने से बचाया है ।"

"zzzz...मुझे नींद आ रही है मॉं , क्‍योंकि तुम भी ऊंघ रही हो । इसलिए शुभरात्रि मम्‍मी , सोने के लिए अभी भी काफी रात बाकी है ।"

"मेरा आशीर्वाद तुम्‍हारे साथ है , मेरी प्रिय एमिली । ईश्‍वर तुम्‍हे अपने स्‍वार्थी लोगों की सेवा करने का साहस और सहनशीलता दे ।"

"आज हम एक शुरुआत कर सकते हैं और ब्‍लागरों की एकता ने इस शुरुआत को गति दी है । वेब की दुनिया में जाओ मम्‍मी और एडस के बारे में और बहुत सी जानकारी प्राप्‍त करो । "

"कैसे मेरी बच्‍ची ?"

"कोई भी सर्च इंजिन खोलो और AIDS टाइप करो अथवा http://unite.blogcatalog.com पर जाओ। आपको वहॉं बहुत सारी संबंधित लिंक मिलेंगी । "

"अच्‍छा ! तुम तो हमसे अधिक जागरुक जान पडती हो । बहुत खूब मेरी बच्‍ची"

"अच्‍छा तो अब मैं अगली रात को इसी जगह पर इसी समय मिलूँगी । अगली मुलाकात तक के लिए बाय बाय । अपने स्‍वास्‍थ्‍य का ख्‍याल रखो और अपनी कामेच्‍छाओं को नियंत्रण में रखो । ड्रग्‍स को 'ना' बोलो । खुशियों का सुरक्षित होकर आनंद लो । रक्‍त का परीक्षण कराओ और रक्‍त के किसी भी आदान-प्रदान में नई सुई का प्रयोग करो । आओ आज हम साथ-साथ एक नई शुरुआत करें , हॉं एक नई शुरुआत । एक ऐसी शुरुआत जिसका एक अंत भी है , एक अंत ! मुस्‍कुराहट और दिन के बहुत से उजाले के साथ ।

आमीन ! !

यह कहानी मेरे एक ऑनलाइन मित्र सुदाम पाणिग्रही, जो कि अंग्रेजी में अपने ब्‍लॉग Share and smile पर लिखते हैं, के द्वारा एड्स दिवस पर अँग्रेजी में लिखी गई कहानी AIDS: Towards A New Morning का हिन्‍दी अनुवाद है । अनुवाद और अपने ब्‍लॉग पर प्रकाशित करने की इजाजत देने के लिए सुदाम को धन्‍यवाद ।

नैनोरिमो द्वारा नवंबर में आयोजित राष्‍ट्रीय उपन्‍यास लेखन माह (नेशनल नॉवेल राइटिंग मंथ ) प्रतियोगिता में सुदाम पाणिग्रही अपने उपन्‍यास ड्राई ओएसिस (Dry Oasis) में तीस दिनों में 61,431 शब्‍द लिखकर विजेता का खिताब हासिल किया । उनके इस उपन्‍यास का एक अध्‍याय आप यहॉं पढ सकते हैं ।

इस उपलब्धि के लिए उन्‍हें बधाई और शुभकामनाऍं ।

16 comments:

  1. अच्छी कहानी है और अच्छे उद्देश्य के लिए लिखी गयी है. छोटी होती तो ज्यादा लोग पढ़ते

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  2. sudam ki likhi story ko apne blog ke jariye jyadd se jyada logo ko padhwana bhi to accha kaam hai,muze aap ka yah kaam accha laga.
    kirti rana.
    www.pachmel.blog

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  3. बहुत बढिया, प्रवाहयुक्त अनुवाद. सुदाम जी और आप दोनों ही धन्यवद के पात्र हैं.

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  4. बहुत अच्छे अर्कजेश ..जो बात पता थी उसे कहानी के माध्यम से जानने मे कहानी का आनन्द भी मिला .. धन्यवाद आपको व सुदाम जी को ।

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  5. ye kahani nahin haqeeqat lagti hai,jab tak aap ne nahin bataya ye kahani ka mool roop lagta hai anuvad nahin.sudama ji aur aap donon hi badhai ke patra hain.

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  6. एक भयंकर व्याधि से जुड़े दुश्चक्रों को बयान करता सशक्त रूपक !
    साझा करने के लिए आभार !

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  7. कहानी के माध्यम से बहुत लाजवाब जानकारी ....... कहानी अपने उदेश्य में सफल रही ........... कहानी का शिल्प भी बेजोड़ है .... सफल कहानी ..........

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  8. Is sadprayaas ke liye Sadhuwaad aapka !!

    Vishay ko bahut hi saral aur sahaj roop me aapne yahan prastut kiya...

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  9. ab phir aaungi padh liya vichar dene aati hoon safalta mili shukriyaan ,kahani bahut shaandar hai ,magar kuchh kahna hai jiske liye phir aati hoon

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  10. कहानी बहुत अच्छी और जागरूक करने वाली है...... और नया template भी बहुत अच्छा है......

    ग्रेट वर्क.....

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  11. कहानी के माध्यम से इस रोग के बारे मे जानकारी और भी रोचक बन गयी है जिसके लिये लेखक को धन्यवादऔर आपका भी धन्यवाद इस मार्मिक और प्रेरण्देती कहानी को पढवाने के लिये

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  12. Arkjesh i felt honoured to find a corner in your blog. It is really an honour to my creativity. You just gave another lease of life to a one year old short story.

    You have translated the story impressively without compromising on the essence of the story. I thank you the mammoth effort you took and succeeded.


    Through your blog i also thanks all the readers who read the post and shared their valuable comments. This will certainly go a long way in honing my deftness of playing with words.

    Thanks

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  13. bahut dhyaan se is vaartalaap ko padhti rahi .aankhane nam ho gayi ,kai baate dil ko behad roop se chhoo gayi ,andhkaar se prakash ki or le jaati hui ye rachna kabile taarif hai ,jitni sarahna ki jaaye aap dono ki kam hai ,is kahani ki prashansa me bas itna hi kahungi ,jo is kahani ke bhav bhi hai -----tamso maa jyotirya gamya ,
    mirituya maa amritamya gamya ,asto maa satya gamya .ye to bahut aham mashaal hai .

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नेकी कर दरिया में डाल