April 11, 2009

चौराहों पर उनके नाम क्यों नहीं लिखे जाते ?

किसी नये शहर में जाइए और अपने गंतव्य का पता पूछिए तो पते के बीच में किसी ना किसी चौराहे से दाएँ-बाएँ या सीधे गुजरने की नौबत ज़रूर आएगी |

अब जिस चौराहे से आपको गुजरना है, वह बहुत प्रसिद्ध है, क्योंकि हर चौराहा अपने क्षेत्र में प्रसिद्ध होता है | लेकिन आप पहचानेगे कैसे कि यह वही प्रसिद्ध चौराहा है, जब तक आप रुककर किसी स्थानीय व्यक्ति से नहीं पूछते |


जैसे प्रसिद्ध से प्रसिद्ध आदमी या बड़े से बड़े वीआईपी के ऊपर लिखा नहीं रहता की वह 'यह' है | आप उसे सिर्फ़ देखकर उसकी महानता का अंदाज़ा नहीं लगा सकते | ठीक वैसा ही हाल चौराहे का होता है |

छोटी से छोटी दुकान पर भी साइन बोर्ड होता है, हर बिल्डिंग और मार्ग का नाम होता है, लेकिन आज तक मैने किसी चौराहे उसके नाम का साइन बोर्ड लगा हुआ नहीं देखा | इसका कारण पता करने की कोशिश की लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला | बड़े चौराहे के सर्किलों पर भी नाम नही होता | अब यह नगर निगम वालों की क्या नीति है, पता नहीं |

यदि चौराहों पर नाम पट्ट लगाए जाएँ तो नवागंतुकों को बहुत सुविधा हो |

4 comments:

  1. बहुत महत्व की बात की है आपने। चारो ओर तमाम तरह का लिखा हुआ 'विडियो प्रदूषण' मिल जायेगा जो आंखों को खलता रहता है किन्तु सुविधापूर्ण जानकारी देने वाला यह जानकारी कहीं नहीं मती।

    इसी के साथ जुड़ा एक दूसरी समस्या भी है। कुछेक नाम जो रखे जाते हैं वह इने गिने नेताओं के नाम पर हैं। देश की आजादी के महायज्ञ में कितने ही शहीदों ने अपना जान और सब कुछ लुटा दिया। उनके नाम कहीं नहीं दिखते। राजगुरू, सुखसेव, उधन सिंह, मदनलाल ढींगरा, भगत सिंह, सावरकर, यतीन्द्रनातह, खुदीराम का नाम कहीं नही दिखता।

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  2. @अनुनाद सिंह

    जो बातें छूट गईं थीं, आपने कह दीं ।
    धन्यवाद ।

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  3. वाह!! सचमुच बहुत ही पते की बात की है आपने.शहरों के महापौर इस ओर ध्यान दें तो कुछ बात बने.

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  4. Jo log board ukhadte hai, notice phadte hai, bulb churate hai, sadko par utpat machate hai, sadke jam karte hai unke baare mein bhi kabhi likhiye. Mujhe lagta hai in sab mahasayon se sadko aur chaurahe mein kuch nahin bachta. Highway par falana ye kilometre, amuk is disa mein aise kitne board miljayenge lekin kuchh din baad woh bhi gayab ho jata hai, kewal in mahasayon ke liye. Kuchh log to subha hote hi apna program bana lete hai ki kin kin sarkari cheezon ko todna hai ya ukhadna hai. Yeh kewal in tatwon ke wajah se kuchh nahin bachta aur jarurat mando ko sahi suchna nahin milta.

    Dhanyabaad

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नेकी कर दरिया में डाल