April 10, 2009

बात जूते की नहीं नक़ल की है .

सत्य एक है लेकिन उसे कई तरह से कहा जा सकता है | जूते का काम
भी एक ही है - चलना (दौड़ना भी इसमे शामिल है ) , लेकिन उसके चलने के ढंग बहुतायत हैं | कभी यह सड़क पर चलता है, कभी घर पर, कभी सभा में, कभी संसद में और कभी संवाददाता सम्मेलन में |


जैसा क़ि हाल ही में गृह मंत्री पी चिदंबरम के ऊपर चला | चलाने वाले थे पत्रकार जनरल सिंह | इस घटना से जार्ज बुश का जूता कांड फिर ताज़ाहुआ | अभी जूते के नंबर, मेड और रंग के विवरण मेरे पास नहीं हैं |
जार्ज बुश वाले कांड में लोग ज़्यादा चौंके थे, जबकि जनरल सिंह के जूता चालन को लोग उसी का अनुकरण मान रहे हैं | जनरल सिंह को इस घटना से एस फ़ायदा यह हुआ की लोग उन्हे जाने लगे | इस घटना से पहले लोग जनरल सिंह भिन्डरवाले को ही जानते थे, अब देश भर में पत्रकार जनरल सिंह के नाम का पता चल गया है |

जनरल सिंह का गुस्सा जायज था, लेकिन गृह मंत्री पी चिदम्बरम इसके लिए सही व्यक्ति नहीं थे | यह जूता जगदीश टाइटॉलर और कांग्रेस हाईकमान के लिए था | क्योंकि बिना कांग्रेस हाईकमान के इशारे के गृहमंत्री क्या करेंगे | गृह मंत्री पी चिदम्बरम इसलिए भी सही व्यक्ति नहीं थे क्योंकि उन्होंने जनरल सिंह को तुंरत माफ़ कर दिया और कहा कि ""the emotional outburst of one man should not hijack a press conference" इस काबिल भी नहीं समझा की गिरफ्तार तो करवा देते मुकदमा भले न चलवाते | लेकिन गृहमंत्री ने गांधीगिरी दिखाते हुए (आसन्न चुनावों को ध्यान में रखकर ) उन पर रहम किया | इसी रहम के कारण जनरल सिंह मात खा गए |
पत्रकारों ने भी जनरल सिंह की आलोचना की |

जनरल सिंह का जूता चालन मिशन इसलिए लोकप्रिय नहीं हो पाया क्योंकि इसमे मौलिकता का नितांत अभाव था और यह हाल ही में हुई इसी तरह के एक घटना की पुनरावृत्ति थी | भले ही यह स्वतः स्फूर्त रहा हो |

कोई और ढंग चुन लेते | कुछ नया करते | जूता की जगह चप्पल पहन लेते | शायद इसीलिये कहा जाता है कि भारतीय बुद्धजीवियों में मौलिकता का अभाव है |
यही हाल रहा तो पत्रकार सम्मलेन कक्ष के बाहर "जूता चप्पल बाहर उतारे" की तख्ती लगी होगी और पास में ही इस बात पर ध्यान दिलाने वाले भी खड़े रहेंगे | फिर किसी पत्रकार का जूता चोरी हो गया तो उस सम्मलेन की रिपोर्टिंग के साथ जूता चोरी का विवरण भी दिया रहेगा | पत्रकारों का ध्यान प्रश्न पूछने के साथ-साथ जूते पर भी जाता रहेगा, इसका असर उनके सवाल पूछने पर पड़ेगा | यदि ऐसा हुआ तो जाहिर है, उन्हें जनरल सिंह याद आयेंगे |
ज़ब कलम चलाने वाले जूते चलाने लगते हैं तो ऐसे ही दुष्परिणाम सामने आते हैं |
चित्र - गूगल

1 comment:

नेकी कर दरिया में डाल