अब सचिन को मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह बल्लेबाजी करनी है । उनकी एक-एक हरकत बहुत महत्वपूर्ण होती है । सचिन का यह पहला सार्वजनिक बयान कहा जा सकता है । बिल्कुल उसी अंदाज जिसमें उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत की थी । पहली ही सीरीज में अब्दुल कादिर जैसे अनुभवी स्पिनर का कैरियर तबाह कर दिया था । सचिन की लोकप्रियता एक महान खिलाडी के साथ साथ एक भद्रपुरुष के रुप में है इसीलिए वे भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लाडले हैं । एक महान प्रतिभा का भद्र पुरुष होना बहुत अपीलक होता है ।
माओवादियों और नक्सलवादियों का आतंक तो जारी है ही । मुंबई के बमविस्फोटों 26/11 की बरषी भी आ पहुँची है । इसमें सरकार को चाहिए की वह मुंबई विस्फोटों से सबक लेकर साल भर में किए गए सुरक्षा उपायों की समीक्षा करे | इसके लिए छदूम अभ्यास भी किए जाने चाहिए । वरना उनकी कुशलता पर चौंकने और अपनी खामियों पर हाय-हाय करने के अलावा और कुछ करते नहीं बनता । मीडिया को भी सुरक्षा सुधारों पर बहस छेडनी चाहिए ।
इसके अलावा दिसम्बर 2012 में दुनिया भी खत्म होने वाली है । यह मैं नहीं कह रहा हूँ । बल्कि पिछले कई दिनों से मीडिया, समाचार पत्रों और ब्लॉगों में इस बाबत सम्भावनाऍं व्यक्त करने वाले प्रमाण दिए जा रहे हैं । जिधर रुख करो उधर ही एकाध पोस्ट दिख जाती है । कुछ नया होने की उत्तेजना लिए हुए ।
इस मामले में माया सभ्यता का नाम सबसे ज्यादा लिया जाता है । भला हो इस खबर का कि हमें दुनिया की एक और सभ्यता का नाम जानने का अवसर मिला । हो सकता है माया वालों को 2012 तक ही गिनती आती रही हो । या कुछ और वजह भी हो सकती है ।
हमें टेंशन दुनिया खत्म होने की नहीं है, यदि वह पूरी खत्म हो जाये तो । "आप मरे जग परलय" । जब सबै खत्म हो जायेगा तो काहे की फिकिर । बेचैनी तब होती है, जब परिस्थिति स्काई लैब वाली पैदा हो जाती है । हमें तो स्काई लैब गिरने की याद नहीं है । लेकिन हमने अपने बडे दोस्तों और बुजुर्गों से सुना था कि एक समय स्काई लैब नामक कोई पहाड अन्तरिक्ष से टूट कर पृथ्वी पर गिरने वाला था । वह अंतरिक्ष में लटकी हुई अमेरिका की एक प्रयोगशाला थी । जब उसका दिन पूरा हो गया और वह आसमान से जमीन पर आने लगी तो अमेरिका वालों ने कहा कि वह कहीं भी गिर सकती है । वैसे तो उसकी हवा में ही स्वाहा हो जाने की संभावना थी पर मान लो कुछ बचकर पृथ्वी से टकरा गई तो सत्यानाश ही समझो । इस धोखे में कई लोगों ने खूब पैसा खर्च करके ऐश किया था कि कहीं इधर ही आ गिरी तो सब धरा का धरा रह जायेगा पैसा वगैरह । ये बात अलग है कि बाद में ऐसे लोग स्काई लैब के प्रशांत महासागर में गिरने पर अफसोस करते पाये गए । क्योंकि कंगाल भी हो गए थे और परलय भी नहीं हुआ । अब खायें क्या | हमारे एकदोस्त के बडे भाई ने अपने बगीचे के सारे अनार तोडकर मोहल्ले में बँटवा दिए थे । बाद में पिताश्री के पैरों के चर्म मेडल प्राप्त किए , अपनी दूरदर्शिता के इनाम के तौर पर ।
हमारे स्कूल में एक लडके का नाम स्काई लैब था । वह उसी दिन पैदा हुआ था जिस दिन स्काई लैब गिरा | इसलिए उसके पिता ने उसे स्काई लैब करार दिया । बाद में मैट्रिक पहुँचते पहुँचते उसने अपने नाम के आगे तूफान भी जोड लिया था । स्काई लैब 'तूफान' । मेरा दोस्त नहीं था, जूनियर था लेकिन वह सिर्फ अपने नाम की वजह से जाना जाता था । पहली बार उसका नाम सुनकर लोग समझते कि मजाक कर रहा है । खासकर पूरा नाम स्काई लैब तूफान पढकर । अब पता नहीं स्काई लैब कहॉं होगा ।
बहरहाल हम 2012 जैसी खबरों को सनसनीखेज और मनोरंजन से ज्यादा तरजीह नहीं देते । क्योंकि जिस चीज में आदमी कुछ कर ही नहीं सकता उसमें फालतू की मगजमारी काहे । बल्कि पर्यावरण संबंधी मुददों को इस तरह के प्रचार की ज्यादा जरूरत है । मुझे तो लगता है कि पृथ्वी को ऐसे अचानक तो खत्म हो नहीं जायेगी । हॉं, यदि प्रमुख राष्ट्रों की सरकारें जल्द ही पर्यावरण से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर करके अमल करना शुरू नहीं करतीं तो जरूर है कि आने वाले समय में हमें गंभीर प्राकृतिक संकटों का सामना करना पडेगा |