क्लासिकल गप्पी जब बोलना शुरू करता है तो ऐसा लगता है जैसे कोई भारी दरवाजा धीरे से खुल गया हो ।
हर क्लासिकल वस्तु की तरह क्लासिकल गप्पी भी एक दुर्लभ घटना है । इस तेजी और यूज ऐन्ड थ्रो के जमाने में वैसे भी अब क्लासिकल या कालजयी रचनाओं की संख्या कम होती जा रही है । उसी तरह बतियाने की शैली भी बदलती जा रही हैं । यह समय का प्रभाव है ।
कोई भी छोटी से छोटी या बडी से बडी चीज "समय" की एक "घटना" है क्योंकि वह अपने समय का पूरा प्रभाव लिये हुए होती है । जैसे पुराने लोगों से मिलिये वे हर चीज को बडे विस्तार से बतायेंगे । शॉर्ट कट में उन्हें विश्वास नहीं । यदि आप उनसे पूछेंगे की कहां गये थे आप, तो वे आपको पूरा विवरण देंगे । कैसे गये, क्यों गये, रास्ते में कौन-कौन मिला, मिलने वालों का विवरण इत्यादि भी मिल सकता है । यह ढंग सूचना क्रांति से पहले पैदा हुई पीढी में ज्यादा प्रचलित था | लेकिन अभी भी दुर्लभ प्रजाति के रूप में ऐसे लोग पाये जाते हैं |
बात करने के ढंग के आधार मनुष्य को कई वर्गों में बांटा जा सकता है । जैसे कम बोलने वाले, ज्यादा बोलने वाले, बहुत ज्यादा बोलने वाले, औसत बोलने वाले । सबकी अपनी अपनी विशेषता होती है , लेकिन मैं यहां बात क्लासिकल गप्पी की कर रहा हूं । क्लासिकल गप्पी कभी उपदेशात्मक नहीं होता । वह घटनाओं के प्रति बिल्कुल तटस्थ रहता है । सभी क्लासिकल गप्पी जन्मजात किस्सागो होते हैं । उन्हें प्रयास करके या पूर्व योजना से नहीं बोलना होता । बस एक बार किताब खुली कि उपन्यास की तरह कल्पना और यथार्थ का घाल-मेल उत्पाद आपके सामने प्रस्तुत । हां, क्लासिकल गप्पी की बातें उपन्यास की तरह ही होती हैं । उपन्यास में एक मुख्य कहानी के साथ-साथ कई सहायक कहानियां चलती रहती हैं जैसे पेड का एक मुख्य तना और उसकी शाखायें । ठीक उसी तरह क्लासिकल गप्पी का भी एक मुख्य विषय होता है, जिसकी वजह से उसने बोलना शुरू किया था । आपने पूछा कि क्या हाल चाल है तो वह सीधे नहीं कह देगा कि अच्छा या बुरा है । उसकी तो नौबत ही नहीं आयेगी क्योंकि शायद ही कभी कोई क्लासिकल गप्पी के क्लाइमेक्स तक रुक पाता हो । क्लासिकल गप्पी का जीवन घटना प्रधान होता है . साधारण आदमी बड़े-बड़े काम कर लेगा, दूर-दूर की यात्राएं कर लेगा लेकिन उसके जीवन में मुश्किल से तीस मार खां बताने लायक घटना घटेगी . क्लास्सिकल गप्पी बाजार भी गया तो कुछ न कुछ विशेष घट जाएगा . जैसे यदि मेरा क्लासिकल गप्पी दोस्त कॉलेज गया तो उसको या तो कोई विदेशी पर्यटक रास्ता पूछने वाला मिल जाएगा या तो कोई बेल स्मार्ट लड़की टकरा जायेगी । फ़िर शुरू हो गयी कहानी । हम तो समझ रहे हैं लेकिन अगला पूरे गंभीरता से सुन रहा है । उनके हर यात्रा में एक बेल स्मार्ट लड़की और कुछ खलनायक होते हैं ।जब वे कुछ लोगों के बीच में बोलते थे तो हम इन्तजार करते थे कि अब कोई बेल स्मार्ट आने वाली है । एक बार उन्होंने हम जैसे कुछ मित्रों से कहा कि वे एक उपन्यास लिख रहे हैं । उसकी कहानी का सारांश भी उन्होंने बताया । कहानी हम लोगों को बहुत पसंद आयी । तब तक हम ने दिलीप कुमार और राजकुमार की सौदागर फ़िल्म नहीं देखी थी । कुछ दिनों के बाद जब हमने वह पिक्चर देखी तो उनकी बताई हुए कहानी की याद आ गयी । जब उपन्यास के बारे में पूछा गया तो भाई ने बताया कि उनकी मम्मी ने धोखे से उसे रद्दी वाले को बेच दिया । अब कोई क्या कहे ।
क्लासिकल गप्पी कभी जल्दी में नहीं बोलता । इत्मीनान से अपनी बात कहता है । ना ही चार लोगों की महफ़िल में बीच बीच में उचक उचक कर बोलता रहता है । लेकिन एक बार बोलना शुरू कर दिया तो अगले को बोलने की संधि नहीं देता । उसकी बात में ऐसे कोई प्वॉइट भी नहीं रहते की कोई बीच में तर्क कर सके । क्योंकि उसकी बात चाहिये के अन्दाज में कभी नहीं होती ।
क्लसिकल गप्पी की याददाश्त बहुत तेज होती है । जीवन की हर छोटी बडी घटना उसे बकायदा याद रह्ती हैं । तेज याददाश्त की सबसे बडी वजह उन्ही घटनाओं को बार-बार दुहराते रहना भी है । एक ही बात को अलग-अलग ढंग से कई लोगों को बता चुके होते हैं । सुनने वाले को आश्चर्य होता है की इन्हें कितना याद रहता है ।
क्लासिकल गप्पी नये और पुराने परिचितों को समान रूप से शिकार बनाता है ।
क्लासिकल इसीलिये कहा गया है कि शिकार को पता नहीं चल पाता कि वह शिकार बन चुका है । हम क्लासिकल नहीं हैं इसीलिये बन्द करते हैं ।