May 13, 2009

हे प्रभु हमें शक्ति दो !

हे प्रभु हमें शक्ति दो !
अपने कर्त्तव्यों को कभी भूलें हम,
निज कर्म पथ पर बढ़ते रहने की हमें आसक्ति दो |
हे प्रभु हमें शक्ति दो !

मंजिल हमारी दूर है पथ कंटकों से है भरा,
और कितनी दूर जाना हैं नहीं हमको पता |
दोस्त बन जाएँ ये कंटक, हमको ऐसी युक्ति दो |
हे प्रभु हमें शक्ति दो |

हो कभी ऐसी परिस्थिति, चित्त हो जाए संशकित |
धैर्य का पुल टूटता हो, मनोबल हो किंचित |
विश्वास पर तुमसे हटे , हमको ऐसी भक्ति दो |
हे प्रभु हमें शक्ति दो |

भाव उठते हैं ह्रदय में कर नहीं पाते प्रकट,
ज्वार उठते हैं, ह्रदय में कंठ में जाते अटक |
बन सकें तेरी ही वीणा, ऐसी कुछ अभिव्यक्ति दो |
हे प्रभु हमें शक्ति दो !

(यह कविता मैंने 11 वीं कक्षा में लिखी थी )

3 comments:

  1. प्रार्थना याद करने योग्य है

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  2. Really Very nice reading....
    Thanks for this enthusiastic poem.

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  3. बहुत बढिया प्रार्थना है.इसे अपने बच्चों से सस्वर गायन करवा सकती हूं क्या? यदि अनुमति दें तो.

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नेकी कर दरिया में डाल