प्यार जुकाम जैसा होता है क्योंकि दोनों ही मर्जों में निम्नलिखित समान लक्षण देखे जाते हैं :
* दोनों ही मर्जों से पीडित व्यक्ति का कोई इलाज नहीं है ।
* मर्ज से पीडित व्यक्ति ठीक दिखते हैं लेकिन होते नहीं ।
*दोनों ही तरह के मर्जों की रोकथाम के लिये टीकाकरण या बरती जाने वाली सावधानियों जैसे कोई पूर्व उपाय कारगर नहीं हैं ।
* यद्यपि दोनों ही मर्जों का प्रकोप कम उम्र लोगों को पर ज्यादा होता है, फ़िर भी यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है ।
* दोनों ही प्रकार के रोगों से पीडित व्यक्ति बीमारी से मरते नहीं । यदि ऐसा सुनने में आता भी है तो भी वह बीमारी का प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं होता ।
* दोनों ही बीमारियां सन्क्रामक हैं । रोगी के दोस्त, परिवार और शिक्षक इससे प्रभावित हो सकते हैं ।
* रोग की चरम अवस्था में नाक और आँखों पानी बहना शुरु हो जाता है और मस्तिष्क काम करना लगभग बन्द कर देता है ।
* प्राकृतिक और घरेलू उपचार इन रोगों में ज्यादा फ़ायदेमन्द होते हैं । उदाहरणार्थ प्यार के मामले में प्यारी/प्यारे वस्तु की उपस्थिति और जुकाम में बाम वगैरह ।
* दोनों ही तरह रोगों के ज्वर एक निश्चित अवधि के बाद उतर जाते हैं एवम पीडित पूर्णतः सामान्य होकर अपने काम-धन्धे में जूझ जाते हैं ।
* दोनों ही बहुत सामान्य बीमारियां हैं और संसार भर में पायी जाती हैं ।
* प्रत्येक व्यक्ति अनिवार्यतः कभी न कभी इन बीमारियों की चपेट में अवश्य आता है ।
* जुकाम सैकडों तरह के विषाणुओं की वजह से होता है, इसीलिये इसका इलाज नहीं खोजा जा सका इसी तरहप्यार भी हार्मोनल रसायनों, वंशानुगत विशेषताओं से लेकर वातावरण तक से प्रभावित होता है |
* जिन मित्रॊं को गलतफ़हमी हो कि जुकाम के कई इलाज बाजार में आ गये हैं, तो उनकी बात भी इतनी ही दुरुस्त है कि यदि आप दवाइयां लेते हैं तो जुकाम ७ दिन में ठीक हो जाता है और नहीं लेते तो एक सप्ताह में ।
* दोनों ही मर्जों से पीडित व्यक्ति का कोई इलाज नहीं है ।
* मर्ज से पीडित व्यक्ति ठीक दिखते हैं लेकिन होते नहीं ।
*दोनों ही तरह के मर्जों की रोकथाम के लिये टीकाकरण या बरती जाने वाली सावधानियों जैसे कोई पूर्व उपाय कारगर नहीं हैं ।
* यद्यपि दोनों ही मर्जों का प्रकोप कम उम्र लोगों को पर ज्यादा होता है, फ़िर भी यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है ।
* दोनों ही प्रकार के रोगों से पीडित व्यक्ति बीमारी से मरते नहीं । यदि ऐसा सुनने में आता भी है तो भी वह बीमारी का प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं होता ।
* दोनों ही बीमारियां सन्क्रामक हैं । रोगी के दोस्त, परिवार और शिक्षक इससे प्रभावित हो सकते हैं ।
* रोग की चरम अवस्था में नाक और आँखों पानी बहना शुरु हो जाता है और मस्तिष्क काम करना लगभग बन्द कर देता है ।
* प्राकृतिक और घरेलू उपचार इन रोगों में ज्यादा फ़ायदेमन्द होते हैं । उदाहरणार्थ प्यार के मामले में प्यारी/प्यारे वस्तु की उपस्थिति और जुकाम में बाम वगैरह ।
* दोनों ही तरह रोगों के ज्वर एक निश्चित अवधि के बाद उतर जाते हैं एवम पीडित पूर्णतः सामान्य होकर अपने काम-धन्धे में जूझ जाते हैं ।
* दोनों ही बहुत सामान्य बीमारियां हैं और संसार भर में पायी जाती हैं ।
* प्रत्येक व्यक्ति अनिवार्यतः कभी न कभी इन बीमारियों की चपेट में अवश्य आता है ।
* जुकाम सैकडों तरह के विषाणुओं की वजह से होता है, इसीलिये इसका इलाज नहीं खोजा जा सका इसी तरहप्यार भी हार्मोनल रसायनों, वंशानुगत विशेषताओं से लेकर वातावरण तक से प्रभावित होता है |
* जिन मित्रॊं को गलतफ़हमी हो कि जुकाम के कई इलाज बाजार में आ गये हैं, तो उनकी बात भी इतनी ही दुरुस्त है कि यदि आप दवाइयां लेते हैं तो जुकाम ७ दिन में ठीक हो जाता है और नहीं लेते तो एक सप्ताह में ।
बहुत शानदार तुलना. सच है, प्यार भी तो ज़ुखाम की तरह ही है.
ReplyDeleteशानदार तुलना है...
ReplyDeleteवाह जी क्या तुलना की है।
ReplyDeleteवाह...प्यार और जुकाम ! आकर्षक शीर्षक - तुलना अतुलनीय
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