यद्यपि बीबीसी हिन्दी सेवा किसी परिचय की मोहताज नहीं है और इसके कार्यक्रम हिन्दी और अहिन्दी भाषियों के बीच अपनी निष्पक्षता और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्द हैं | फ़िर भी केबल के माध्यम से प्रचलित समाचार चैनलों की प्रचुरता की वजह से गावों और कस्बों के तुलना में शहरों में श्रोताओं की संख्या कम है | लेकिन इन्टरनेट पर बैठने वालों के लिए इसके कार्यक्रम सुनना बहुत ही आसान और उपयोगी है | खासकर जब यह बात मैं हिन्दी ब्लॉग्गिंग के मंच पर कर रहा हूँ |
इन्टरनेट के माध्यम से कार्यक्रम सुनाने में सबसे बड़ी सुविधा यह है की इसमें समय की कोई पाबंदी नहीं है, आप किसी भी तारीख का कोई भी कार्यक्रम कभी भी सुन सकते हैं |
वर्तमान समय में हो रहे 2009 के आम चुनावों के सन्दर्भ में चल रहे बीबीसी के चुनाव कार्यक्रम जैसे - रात 8 बजे से आजकल कार्यक्रम के बाद आने वाला चुनाव चर्चा, चुनाव समीक्षा तथा विशेषज्ञों एवं आम जनता से बातचीत मुझे इतनी पसंद आयी की मैं इस पर ब्लॉग पोस्ट लिखने से अपने आप को नहीं रोक सका |
बीबीसी के संवाददाता इस चुनाव के लिए विशेष रूप से विभिन्न शहरों जैसे - मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, हैदराबाद, पटना, भोपाल इत्यादि में पहुंचे हुए हैं | और वहां वे जनप्रतिनिधियों और आम जनता को इकट्ठा करके चुनाव से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं | यह बीबीसी के संवाददातों का कौशल ही है की यह चर्चा बहुत ही जीवंत और प्रामाणिक बन पड़ती है | लगभग 30 मिनट के कार्यक्रम में इतना उपयोगी विमर्श हो जाता है की मजा आ जाता है |
यहाँ ऐसे विषय और मुद्दे भी उठाये जाते हैं, जिनसे समाचार चैनल अज्ञात विवशता या अज्ञानवश चूक जाते हैं|
मैं सुने गए कुछ कार्यक्रमों की चर्चा करता हूँ |
पटना शहर में किए गए चुनाव चर्चा कार्यक्रम में राजनीतिक पार्टियों द्वारा बाहुबलियों और आपराधिक पृष्ठभूमि रखने वालों को बड़ी संख्या में टिकट देने पर चर्चा हुई | इस आम चुनाव में चुनावी समर में भाग लेने वाले उम्मीदवारों में से लगभग २२% उम्मीदवार आपराधिक रिकार्ड वाले हैं |
अहमदाबाद की चुनावी सभा में मोदी, हिंदुत्व और कांग्रेस की गुजरात में असफलता पर चर्चा हुई | इसी मौके पर सूरत के हीरा उद्योग पर मंदी का असर, हजारों रत्नाकार श्रमिकों की बेकारी और राज्य सरकार द्बारा कोई मदद नहीं दिए जाने की बात भी लोगों द्बारा उठाई गयी | यह भी चर्चा हुई की मोदी द्बारा विकास का प्रचार "इंडिया शाइनिंग" जैसा ही है और शहरों को छोड़कर दूर-दराज के क्षेत्रों में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं |
अभी दो दिन पहले एक समीक्षा में भारतीय राजनीति में फ़िल्म अभिनेताओं के चुनाव लड़ने पर चर्चा हुई |
इसमें बोलीवुड के कलाकारों की राजनीति में असफलता और दक्षिण भारतीय फिल्मी कलाकारों की आश्चर्यजनक सफलता के कारण भी बताये गए | चुनाव समीक्षक योगेन्द्र यादव ने इसका एक कारण यह बताया कि हिन्दी फिल्मों के अभिनेता या अभिनेत्री किसी राजनीतिक दल द्बारा प्रायोजित किए जाते हैं और चुनाव के बाद वे फ़िर से अपने मूल व्यवसाय की तरफ़ "आ अब लौट चलें" की तर्ज पर वापस चले जाते हैं | जबकि दक्षिण भारत के कलाकार अपनी एक नई पार्टी बनाकर अपने दम पर चुनावी पारी शुरू करते हैं |
फिल्मी सितारों या मंच की हस्तियों द्बारा चुनाव प्रचार करवाना या ग्लैमरस लोगों को चुनाव में टिकेट देना, राष्ट्रीय दलों के जमीनी स्तर पर कमजोर होते जाने को pradarshit करता है |
बीबीसी हिन्दी सेवा को सुनना अपने आप में एक अलग अनुभव है, सूचनात्मक भी और ज्ञानात्मक भी | तो अब जब भी अंतरजाल (इन्टरनेट) पर घुमक्कडी करें तो साथ-साथ बीबीसी कि चुनाव चर्चा सुनने का आनंद लें |
इन्टरनेट के माध्यम से कार्यक्रम सुनाने में सबसे बड़ी सुविधा यह है की इसमें समय की कोई पाबंदी नहीं है, आप किसी भी तारीख का कोई भी कार्यक्रम कभी भी सुन सकते हैं |
वर्तमान समय में हो रहे 2009 के आम चुनावों के सन्दर्भ में चल रहे बीबीसी के चुनाव कार्यक्रम जैसे - रात 8 बजे से आजकल कार्यक्रम के बाद आने वाला चुनाव चर्चा, चुनाव समीक्षा तथा विशेषज्ञों एवं आम जनता से बातचीत मुझे इतनी पसंद आयी की मैं इस पर ब्लॉग पोस्ट लिखने से अपने आप को नहीं रोक सका |
बीबीसी के संवाददाता इस चुनाव के लिए विशेष रूप से विभिन्न शहरों जैसे - मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, हैदराबाद, पटना, भोपाल इत्यादि में पहुंचे हुए हैं | और वहां वे जनप्रतिनिधियों और आम जनता को इकट्ठा करके चुनाव से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं | यह बीबीसी के संवाददातों का कौशल ही है की यह चर्चा बहुत ही जीवंत और प्रामाणिक बन पड़ती है | लगभग 30 मिनट के कार्यक्रम में इतना उपयोगी विमर्श हो जाता है की मजा आ जाता है |
यहाँ ऐसे विषय और मुद्दे भी उठाये जाते हैं, जिनसे समाचार चैनल अज्ञात विवशता या अज्ञानवश चूक जाते हैं|
मैं सुने गए कुछ कार्यक्रमों की चर्चा करता हूँ |
पटना शहर में किए गए चुनाव चर्चा कार्यक्रम में राजनीतिक पार्टियों द्वारा बाहुबलियों और आपराधिक पृष्ठभूमि रखने वालों को बड़ी संख्या में टिकट देने पर चर्चा हुई | इस आम चुनाव में चुनावी समर में भाग लेने वाले उम्मीदवारों में से लगभग २२% उम्मीदवार आपराधिक रिकार्ड वाले हैं |
अहमदाबाद की चुनावी सभा में मोदी, हिंदुत्व और कांग्रेस की गुजरात में असफलता पर चर्चा हुई | इसी मौके पर सूरत के हीरा उद्योग पर मंदी का असर, हजारों रत्नाकार श्रमिकों की बेकारी और राज्य सरकार द्बारा कोई मदद नहीं दिए जाने की बात भी लोगों द्बारा उठाई गयी | यह भी चर्चा हुई की मोदी द्बारा विकास का प्रचार "इंडिया शाइनिंग" जैसा ही है और शहरों को छोड़कर दूर-दराज के क्षेत्रों में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं |
अभी दो दिन पहले एक समीक्षा में भारतीय राजनीति में फ़िल्म अभिनेताओं के चुनाव लड़ने पर चर्चा हुई |
इसमें बोलीवुड के कलाकारों की राजनीति में असफलता और दक्षिण भारतीय फिल्मी कलाकारों की आश्चर्यजनक सफलता के कारण भी बताये गए | चुनाव समीक्षक योगेन्द्र यादव ने इसका एक कारण यह बताया कि हिन्दी फिल्मों के अभिनेता या अभिनेत्री किसी राजनीतिक दल द्बारा प्रायोजित किए जाते हैं और चुनाव के बाद वे फ़िर से अपने मूल व्यवसाय की तरफ़ "आ अब लौट चलें" की तर्ज पर वापस चले जाते हैं | जबकि दक्षिण भारत के कलाकार अपनी एक नई पार्टी बनाकर अपने दम पर चुनावी पारी शुरू करते हैं |
फिल्मी सितारों या मंच की हस्तियों द्बारा चुनाव प्रचार करवाना या ग्लैमरस लोगों को चुनाव में टिकेट देना, राष्ट्रीय दलों के जमीनी स्तर पर कमजोर होते जाने को pradarshit करता है |
बीबीसी हिन्दी सेवा को सुनना अपने आप में एक अलग अनुभव है, सूचनात्मक भी और ज्ञानात्मक भी | तो अब जब भी अंतरजाल (इन्टरनेट) पर घुमक्कडी करें तो साथ-साथ बीबीसी कि चुनाव चर्चा सुनने का आनंद लें |
aapne puraanee , bahut purani to nahin yaad taajaa kar dee, shaayad aap mujhe pehchaan sakein, main hoon ajay kumar jha dishad garden se , jee haan bbc hindi sewa ka ek deewaanaa shrotaa,
ReplyDeleteaapne achha likha dhanyavaad.
वाह बहुत ही उपयोगी जानकारी. बधाई.
ReplyDeleteSome 16 years back i was a regular listener of BBC hindi service as well as News hour in English. Your post took me back to my time and my passion for radio listening. BBc is known for its accuracy, first hand reporting and impartiality. No doubt in the age of cable channels boom it has lost some penetration still credit goes to it for spreading and posting all with recent developments. Today also its analysis on any matter happens to be in depth. It is quite different from today repetitive news channels. Indian news channel should learn from BBC and follow its accuracy and impartiality.
ReplyDeleteThank you friend for this post and reminder service. The tragedy is that today i am not a listener of BBC.