हे प्रभु हमें शक्ति दो !
अपने कर्त्तव्यों को कभी भूलें न हम,
निज कर्म पथ पर बढ़ते रहने की हमें आसक्ति दो |
हे प्रभु हमें शक्ति दो !
मंजिल हमारी दूर है पथ कंटकों से है भरा,
और कितनी दूर जाना हैं नहीं हमको पता |
दोस्त बन जाएँ ये कंटक, हमको ऐसी युक्ति दो |
हे प्रभु हमें शक्ति दो |
हो कभी ऐसी परिस्थिति, चित्त हो जाए संशकित |
धैर्य का पुल टूटता हो, मनोबल हो न किंचित |
विश्वास पर तुमसे हटे न, हमको ऐसी भक्ति दो |
हे प्रभु हमें शक्ति दो |
भाव उठते हैं ह्रदय में कर नहीं पाते प्रकट,
ज्वार उठते हैं, ह्रदय में कंठ में जाते अटक |
बन सकें तेरी ही वीणा, ऐसी कुछ अभिव्यक्ति दो |
हे प्रभु हमें शक्ति दो !
(यह कविता मैंने 11 वीं कक्षा में लिखी थी )
प्रार्थना याद करने योग्य है
ReplyDeleteReally Very nice reading....
ReplyDeleteThanks for this enthusiastic poem.
बहुत बढिया प्रार्थना है.इसे अपने बच्चों से सस्वर गायन करवा सकती हूं क्या? यदि अनुमति दें तो.
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