October 03, 2009

बिजली कटौती कार्यक्रम

मध्यप्रदेश में इन दिनों बिजली कटौती का कार्यक्रम इस प्रकार है ।

सम्भाग मुख्यालय में 3 घन्टे कटौती

जिला मुख्यालय में 6 घंटे

कस्बों में 8 घंटे

और गांव में 11 घंटे बिजली की कटौती होती है

कटौती के घंटे इससे ज्यादा हो सकते हैं कम नहीं ।

बिजली और सडक गांव को हरा देती हैं । कस्बों और शहरों को गांव से जोडने वाली सडकें लगभग हमेशा खस्ताहाल रहती हैं । क्योंकि सडकें ऐसी बनती हैं कि बनने के साथ ही उखडना शुरु हो जाती हैं । मरम्मत तभी शुरू होती है जब सडकें बिल्कुल गायब हो जाती हैं । इस तरह आधे घंटे की दूरी तय करने में डेढ-दो घंटे लग जाते हैं । यह सब चीजें गांव को गांव बना देती हैं ।

गांव की फ़िल्मी रोमान्टिक तस्वीर से अलग ज्यादातर गांवों का मतलब स्वास्थ्य सेवाओं, बिजली और सडक का अभाव भी होता है ।अब ग्रामीण जीवन में आधुनिक उपकरणॊं का बहुतायत उपयोग होता है, सबके पास तो शहर में भी नहीं होता । पर बिजली न रहने की वजह से सब बेकार पडे रहते हैं ।

पंखा कूलर, टीवी फ़्रिज वगैरह को बिजली मुंह बिराती रहती है । सबसे ज्यादा नुकसान किसानों और विद्यार्थियों को होता है । प्रदेश में जहां अधिकांश सिंचाई बोरवेल में लगे सबमर्सिबल पंप से होती है, किसान चातक की तरह बिजली आने के इन्तजार में रहते हैं । हमारे यहां के सिंचाई के साधन भी तभी कारगर हैं जब बारिश ठीक-ठाक हो । बारिश नहीं होती तो पानी से टर्बाइन चलाकर बनने वाली बिजली की आपूर्ति कम हो जाती है ।

इन सब चीजों कि सबको आदत पड चुकी है । देश ने प्रगति की है लेकिन सडक और बिजली की हालत अभी भी खस्ता है । इन दो चीजों का अभाव कई सामाजिक समस्याओं को जन्म देता है क्योंकि यह सीधे विकास से जुडा हुआ है ।

यह हम गांव से ही लिख रहे हैं । बिजली नहीं है और लैपटाप की बैटरी चुकने वाली है ।

1 comment:

  1. हमारी दुखती रग पर हाथ रख दिया है आपने. बिजली की कटौती जिस प्रकार अभी पूरे प्रदेश में हो रही है वैसी पहले कभी नहीं हुई. घोषित कटौती एक बार फिर भी झेली जा सकती है लेकिन अघोषित कटौती? सारे काम ठप्प हो जाते हैं. और सडकें? बेहतर हो कि इन सडकों को फिर से कच्ची पगडंडियों में तब्दील कर दिया जाये. गांव की क्या कहें यहां सतना शहर के अन्दर बस-स्टैन्ड से लेकर दो किलोमीटर अन्दर तक की रोड उखडी पडी है.

    ReplyDelete

नेकी कर दरिया में डाल