दिल कोई गीत गुनगुनाने लगा
एक बहुत खूब शायरी पढकर
क्यों मैं शायर से मिलने जाने लगा
कितने नाजुक हैं ये नये रिश्ते
देखकर फूल भी लजाने लगा
अब तो बातों में भी है खामोशी
शायद अपना पडाव आने लगा
तेरा होना सदा है कविता सा
मैं तो अपनी गजल छिपाने लगा
जो मुझे एक पल में कहना था
उनको कहने में भी ज़माना लगा
जिक्र की राह अब हुई आसां
खौफ बन्दा खुदा से खाने लगा
या तो उलझो ही आज, या हंस दो
नाप-तौल अब तो मन उबाने लगा
उनकी बातों का कैसा शिकवा अब
उनका गुस्सा ही जब रिझाने लगा
तेरा होना है कविता सा ...मैं अपनी ग़ज़ल छिपाने लगा ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..!!
आह्ह!!..बहुत गहन भाव!! आनन्द आ गया.
ReplyDeleteवाह ऐसी कोमल-कांत रचना!!!! सोचा ही नहीं था कि आप इतना नाज़ुक सा कुछ लिखेंगे...बहुत सुन्दर. बहुत ही सुन्दर.
ReplyDeletewaah maza aa gaya ,sachmuch shaandaar hai ,jaise hi tippani dene ke nikali light chali gayi abhi turant aai hai .isliye aane me der ho gayi .saath hi doosre blog ke jariye aana padta hai ,is karan aa nahi pati.aapki salah jaldi manni padegi .kitab laabhkari rahi .
ReplyDeletebahut hi gahre bhaav hain......... is kavita mein.......
ReplyDeleteकितने नाजुक है ये रिश्ते
ReplyDeleteदेखकर फूल शर्माने लगा
बहुत खूब, बहुत बढिया !
चिटठा चर्चा पर दिए गए आपके कमेंट्स, से आपका शानदार व्यक्तित्व झलकता है , काश यहाँ कुछ और अर्कजेश मिल जाएँ ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteमुझको अच्छा लगा तो पढ़ डाला
ReplyDeleteधीरे धीरे ही गुनगुनाने लगा
What shall i say really marvelous. Touched my heart as i was reading your word webbing with my wife. She remembers your name as we chat every day. And when i show this poem she instantly said who has send the piece. She replied her question herself and said who Arkjesh? Really touching sentiments. As a tribute to your creation and creativity though i should not still i will be sending an English translation of your creation very soon. As you know i have got a tight schedule still i will send one, rest assured.
ReplyDeletepeerless indeed.
तेरा होना है कविता सा ...मैं अपनी ग़ज़ल छिपाने लगा .. वाह अच्छा है गज़ल जरा तकनीकी काम है मगर प्यार मे तकनीक नहीं चलती कवितभी सही है बहुत अच्छी रचना है बधाई
ReplyDeleteतेरा होना है कविता सा ...मैं अपनी ग़ज़ल छिपाने लगा .. वाह अच्छा है गज़ल जरा तकनीकी काम है मगर प्यार मे तकनीक नहीं चलती कवितभी सही है बहुत अच्छी रचना है बधाई
ReplyDeleteसचमुच यह गुनगुनाने लायक ही है ।
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी सोच है। इस सोच को प्रणाम करता हूं।
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गजल के भाव अच्छे हैं और कुछ शेर तो मानव-मनोविज्ञान का विश्लेषण करते हैं. निर्मला कपिला जी से मैं सहमत हूँ, गजल में तकनीकी कमियां हैं, इससे आपको भी सहमत होना चाहिए. किसी गजलकार से कुछ दिन सलाह-मशविरा कर लें, उसके अनुभव आपको पारंगत कर देंगे.
ReplyDeleteदीपोत्सव पर शुभकामनाये.