जज्बा,
दोस्ती का बना रहे |
हर दिन,
हर पल,
हमारे दिलों,
बर्ताव में,
चलन में,
मैत्री भाव,
जिसकी जरूरत है,
हमारे द्वारा
सबसे ज्यादा,
हमारे उन अपरिचितों
अर्ध-परिचितों को,
जिनसे हम मुखातिब होते हैं,
दैनिक जीवन में प्रतिदिन
कभी नौकर, कभी मालिक,
सहपाठी, सहकर्मी, अधीनस्थ
या व्यावसायिक, सरोकारों से जुड़े हुए
मित्रों से |
दोस्ती, मैत्री, फ्रेंडशिप
एक ख़ूबसूरत शब्द,
जिसके मुकाबले में हैं,
कुछ ही या कुछ से भी कम
सिर्फ गिने चुने शब्द, शब्दकोष में
सदाशयता, सौजन्यता, सदिच्छा,
समेटे हुए अपने अन्दर
पूरी क्षमता, दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकने की |
दोस्ताना,
एक भाव है, दूसरे के प्रति सम्मान का,
उसके वजूद को स्वीकार करने का |
ससम्मान जियो और जीने दो से भी आगे
जो प्रायोजित नहीं है अन्य रिश्तों की तरह,
लेकिन समाहित है हर रिश्ते में,
पुर्जों में ग्रीस की तरह |
दोस्ती की चिकनाहट बचाती है
हर रिश्ते को यांत्रिक होने से,
तानाशाह होने से |
यह मैत्री ही,
जीवित रखती है
रिश्तों को, गैर मैत्रीपूर्ण क्षणों में
धैर्यपूर्वक इन्तजार करती है मौसम बदलने का,
वैमस्यों को स्थगित करके,
गले लगाने के लिए पुराने पलों को |
मित्र दिवस पर,
याद करते हुए अपने बचपन से लेकर
अब तक के सभी मित्रों को,
जो करीब हैं वो दूर न हों, मित्र बनते रहें |
फूल खिलते रहें |
मित्रता का फूल खिलेगा तो खुशबू तो बिखरेगी ही
और सौन्दर्य भी |
यह दिन फैले इतना
की पूरे वर्ष को समा ले अपने अन्दर |
जिससे हर दिन हो मैत्रीपूर्ण, दोस्ताना, बेतकल्लुफ
मित्र दिवस की तरह |
और नौबत ना आये साल में
सिर्फ एक मित्र दिवस मनाने की,
क्षतिपूर्ति की तरह !
मित्र-दिवस पर एक सुन्दर पोस्ट...सच है. पाश्चात्य तर्ज़ पर मनाये जाने वाले इन दिवसों की हमारे यहां न तो कोई आवश्यकता है, न ही औचित्य. बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteभाई,
ReplyDeleteक्या धारदार बात कही है मैत्री दिवस पर ! हम भारतीयों को गर्व है कि हमें साल में एक बार दोस्तों को यह बताना नहीं पड़ता कि हम मित्र हैं ! हम हैं तो हैं ! सुन्दर अभिव्यक्ति... बधाई !
मित्र दिवस पर याद करते हुए बचपन से लेकर अभी तक के सभी मित्रों को वा भाई अर्कजेश आज मै दिन भर इसी पंक्ति को जीता रहा .इस एक दिन का जीवन भर के लिये विस्तार हो
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए और सुंदर टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteमुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! अब तो मैं आपका फोल्लोवेर बन गई हूँ इसलिए आती रहूंगी!मेरे अन्य ब्लोगों पर भी आपका स्वागत है!
बढ़िया पोस्ट | सच में दोस्ती से बड़ा कोई रिश्ता नहीं |
ReplyDeleteमेरी शुभकामनाये आपको और आपके परिवार को |
शुद्ध सात्विक और चिरस्थायी विचार ठोस धरातल के साथ.
ReplyDeleteस्वागत है आपकी भावनाओं का, सम्मान है आपकी रचनाओं का.
हार्दिक आभार, सत्य से रू ब् रू कराने का.
हार्दिक बधाई.
ye khuda ki inyaat hai ,bandhanmukt hai ,sabhi seemao se pare ek khoobsurat jazba hai .beena sharton pe jo kurbaan
ReplyDeleteho ,umeed se jyada umeed kayam kare .is pak rishte ki hifajat kare .tabhi manana sarthak hai .
wo hansti bhi hai ,muskuraati bhi hai ,pyar ke saaz pe gungunati bhi hai ,dosti gam uthane me pichhe nahi waqt pe maut se khel jaati bhi hai .
sundar bhav se judi hui kavita hai aapki .umda .
Aapke liye harek din,maitree din ho..!
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
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बहुत अच्छी प्रस्तुति, देर से आया हूं इसलिए जो कहना चाहता था वो पहले ही कह दिया गया है :)
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग