मैं वह नहीं हो सकता
जो आप हैं, और आप
वह नहीं जो मैं हूँ |
आप चाहें जितना बखानें,
पर यही है, खासियत,
मेरी और आपकी |
इसे जानते हैं, तो
मानना भी चाहिए
सत्य को
पहचानना भी चाहिए |
यह खासियत है,
बड़ी से बड़ी खासियतों की
कि हम सब भिन्न हैं |
खूबियों और खामियों के साथ,
महानता और बीमारियों के साथ |
भिन्नता ही एकमात्र खासियत है,
अभिन्न अस्तित्व की |
इसका स्वीकार ही है
शान्ति का रहस्य !
आप तो खैर खास हैं ही. :)
ReplyDeleteआपकी भी तो यही खासियत है ....!!
ReplyDeleteआपकी तो कवितायें भी भिन्न ही होती हैं...बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteSatik chintan.
ReplyDeleteवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।
बात पते की कही है और सलीके से ,उम्दा .
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