March 17, 2009

चार्ली भी चपेट में ..... हिन्दुओं की भावनाएं आहत???

जीवन भर फासिस्ट शक्तियों पर प्रहार करने और सामाजिक विद्रूपताओं को अभिनयके माध्यम से अपनी विशिष्ट हास्य प्रधान शैली द्वारा उजागर करने वाले ब्रिटिशफ़िल्म अभिनेता चार्ली चैप्लिन की प्रतिमा स्थापित करने पर कर्नाटक में उडुपी केनिकट बैंदुर के भाजपा कार्यकर्ताओं ने यह कहकर रोक लगा दी कि इससे हिंदूधर्मावलम्बियों की भावनाओं को ठेस लगेगी ? ठेस इसलिए लगेगी कि चार्ली चैप्लिनइसाई थे | यह प्रतिमा फ़िल्म निर्देशक हेमंत हेगडे द्वारा अपनी फ़िल्म 'हाउस फुल' कि शूटिंग के लिए स्थायी तौर पर लगवाई जा रही थी |


यह हास्यास्पद है और सामाजिक समरसता को भंग करने कीदुरभिसंधि है |चार्ली चैप्लिन कभी ईसाइयत के प्रतीक नहीं थे | औरहोते भी तो क्या ? ठीक उसी प्रकार जैसे मोहम्मद रफी , दिलीप कुमारया पी जे अब्दुल कलाम ऐसे कई नाम इस्लाम के प्रतीक नहीं हैं | साहित्यकार, खिलाडी, वैज्ञानिक की पहचान उसके हुनर से होती हैं नाकी उस धर्म से जिसे वे मानते हैं |

इस तरह के नासमझ लोग ही उस धर्म के सबसे बड़े दुश्मन होते हैंजिसकी वे हिमायत करते हैं | और ऐसा वे सिर्फ़ अपने निहित स्वार्थों केलिए करते हैं की किसी आदर्श की स्थापना के निमित्त |


बचपन में हम दूरदर्शन पर चार्ली चैप्लिन की मूक फिल्में देखा करते थे |जो रविवारके दिन आती थीं | बाद में जीवनी पढ़ने पर पता चला कि चार्ली चैप्लिन का बचपनघोर गरीबी में बीता, २१ वर्ष कि उम्र में वे अमरीका गए और वहां अपनी अभिनयप्रतिभा, मौलिक प्रस्तुतीकरण और स्वाभाविक हास्य अपील के गुणों के कारणउनकी फिल्मों ने लोकप्रियता के सभी मानकों को ध्वस्त कर दिया | जीते जी वेफिल्मों के मिथक बन गए |

जब भी मैं फिल्मों में राजकपूर को देखता हूँ, मुझे चार्ली चैप्लिन कि याद जाती है | उनकी कुछ क्लासिकफिल्में हैं -
The Gold Rush, The Circus, City Lights and Modern Timesउनकी मूक फिल्में हैं | The Great Dictator, A Woman of Paris

बाद में बोलती फिल्मों का चलन होने जाने पर The Great Dictator, Monsieur Verdoux और Limelight नामक बोलती फ़िल्म बनायीं जो सामान रूप से सफलहुईं |






मुझे नहीं लगता की चार्ली चैप्लिन की प्रतिमा लगाने से किसी हिंदू की भावनाएं आहत होगीं | हाँ ! इस विरोध ने जरूर कई दिलों को आहत और शर्मसार किया होगा |


सभी चित्र : गूगल से |

2 comments:

  1. tanashahi apne charam par hai.., main vampanthee nahin hoon, magar fascist shaktiyon ka bhee virodh karta hoon.

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  2. क्या कहा जाय....किसी भी धर्म के अतिवादियों ने ही धर्म के सुन्दर स्वरुप को विद्रूप कर दिया है....

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नेकी कर दरिया में डाल