आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश हुकूमत ने सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु को नियत तिथि से तीन दिन पहले फांसी के द्वारा मौत दी थी |
ब्रिटिश हुकूमत को शायद पता नहीं था कि वह सिर्फ़ उनके शरीरो को ही मिटा पा रही है , लेकिन उनके विचार और संदेश जिसके लिए उन्होंने मौत को गले लगाया सदा के लिए नवयुवको के ऊर्जा स्रोत बनने जा रहे हैं | और आज लाख राजनीतिक षड्यंत्रों के बावजूद भगत सिंह भारत की जनता के दिलों में राज करते हैं |
भले ही 23 मार्च को सरकारी तौर पर कोई दिवस घोषित न किया गया हो, लेकिन आज भी यदि सर्वेक्षण करा लिया जाय तो पता चल जायेगा कि 23 मार्च कि तारीख के लिए सबसे उपयुक्त दिवस कौन सा है | यह हमारा और इस देश का दुर्भाग्य है की यहाँ शहीदों पर भी राजनीति होती है |
9 अप्रैल 1929 को भगत सिंह ने कहा था "It is easy to kill individuals but you cannot kill the ideas। Great empires crumbled while the ideas survived"
"व्यक्तियों को मारना आसान है, लेकिन आप उनके विचारों को नहीं मार सकते | महान साम्राज्य नष्ट हो जाते हैंजबकि विचार हमेशा जीवित रहते हैं |"
भगत सिंह वास्तविक अर्थों में विचारक क्रांतिकारी थे | उनकी उम्र महज 23 वर्ष थी लेकिन मानसिक रूप से वे अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व थे | उन्हें जल्दी ही ख्याल आ गया था कि किसी भी आन्दोलन को जब तक व्यापक रूप से आम जनता से नहीं जोड़ा जाता, क्रांति सम्भव नहीं है |
भगत सिंह एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और समानता पर आधारित समाज के समर्थक थे |
धार्मिक उन्माद और धर्म के हिंसात्मक रूपों से होने वाली हानि के ख़िलाफ़ समय-समय पर विभिन्न लेखों में उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए हैं | "मैं नास्तिक क्यों हूँ?" नामक शीर्षक से उन्होंने बहुत ही सुंदर लेख लिखा है |
किसी भी तरह के धार्मिक उन्माद के वे सख्त ख़िलाफ़ थे |
भगत सिंह का अपना सामाजिक दर्शन था | इस मामले में उनके विचार स्पष्ट थे, मनुष्य द्वारा मनुष्य पर किए जाने वाले हर अत्याचार के ख़िलाफ़ उन्होंने आवाज उठाई थी |
जब तक युवाओं की धमनियों में लाल लहू बहता है और जब तक हमारे देश के नौजवानों का दिमाग अपने देश का समग्र विकास चाहता है, तब तक भगत सिंह का साहस और उनकी दूरदर्शिता मशाल की तरह मार्गदर्शन कराती रहेंगी |
भगत सिंह 11 साल के
भले ही 23 मार्च को सरकारी तौर पर कोई दिवस घोषित न किया गया हो, लेकिन आज भी यदि सर्वेक्षण करा लिया जाय तो पता चल जायेगा कि 23 मार्च कि तारीख के लिए सबसे उपयुक्त दिवस कौन सा है | यह हमारा और इस देश का दुर्भाग्य है की यहाँ शहीदों पर भी राजनीति होती है |
9 अप्रैल 1929 को भगत सिंह ने कहा था "It is easy to kill individuals but you cannot kill the ideas। Great empires crumbled while the ideas survived"
"व्यक्तियों को मारना आसान है, लेकिन आप उनके विचारों को नहीं मार सकते | महान साम्राज्य नष्ट हो जाते हैंजबकि विचार हमेशा जीवित रहते हैं |"
भगत सिंह वास्तविक अर्थों में विचारक क्रांतिकारी थे | उनकी उम्र महज 23 वर्ष थी लेकिन मानसिक रूप से वे अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व थे | उन्हें जल्दी ही ख्याल आ गया था कि किसी भी आन्दोलन को जब तक व्यापक रूप से आम जनता से नहीं जोड़ा जाता, क्रांति सम्भव नहीं है |
भगत सिंह एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और समानता पर आधारित समाज के समर्थक थे |
धार्मिक उन्माद और धर्म के हिंसात्मक रूपों से होने वाली हानि के ख़िलाफ़ समय-समय पर विभिन्न लेखों में उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए हैं | "मैं नास्तिक क्यों हूँ?" नामक शीर्षक से उन्होंने बहुत ही सुंदर लेख लिखा है |
किसी भी तरह के धार्मिक उन्माद के वे सख्त ख़िलाफ़ थे |
भगत सिंह का अपना सामाजिक दर्शन था | इस मामले में उनके विचार स्पष्ट थे, मनुष्य द्वारा मनुष्य पर किए जाने वाले हर अत्याचार के ख़िलाफ़ उन्होंने आवाज उठाई थी |
जब तक युवाओं की धमनियों में लाल लहू बहता है और जब तक हमारे देश के नौजवानों का दिमाग अपने देश का समग्र विकास चाहता है, तब तक भगत सिंह का साहस और उनकी दूरदर्शिता मशाल की तरह मार्गदर्शन कराती रहेंगी |
भगत सिंह 11 साल के
सभी चित्र और अभिलेख गूगल से |
अच्छी पोस्ट, मेहनत से तैयार की। भगत सिंह के विचारों के अनुरूप सांप्रदायिकता, साम्राज्यवाद, पूंजवाद औऱ हर तरह के अन्याय से लड़ना जरूरी है
ReplyDeleteबहुत बढिया...साधुवाद.
ReplyDeleteअब एक समस्या हल करें- आपने चिट्ठाजगत से जिस बटन को लेने की सलाह दी है, वो मुझे मिला ही नहीं.मदद करेंगे ना?
yuvaon ke prerana strot shahid bhagat singh ji ke bare me aapne jo bhi prayas kiya bahut hi uttam or dhanyawad ke yogya he....
ReplyDeleteaapka
Pradeep Arya