संवादघर पर की गई मेरी कविता रूपी टिप्पणी या टिप्प्णी रूपी कविता। आज बहुत दिन बाद गूगल डाक्यूमेंट्स में सेव एक पुराने नोट में मिल गई।
नए साल में नया क्या है
अपने खुश होने का बहाना क्या है
हकीकत को रुबरू कैसे करें
इस जिंदगी में नया क्या है
मेरे होने में नया क्या है
मेरे मिटने में नया क्या है
कुछ भी लिखने में नया क्या है
हर नये में नया क्या है
सुबहो शाम में नया क्या है
सोने जगने में नया क्या है
हुस्न -ए-उल्फत में नया क्या है
एक चमडी की हकीकत क्या है
अपने इल्म का फायदा क्या है
काम यह कहीं आता क्या है
मत पूछो नया साल लाता क्या है
कहिए इंसा नया करता क्या है
सच नए साल में नया क्या है
नई नजर में कुछ नया क्या है ?
किसी ने पूछा जिंदगी क्या है
हमने पूछा जीने का बहाना क्या है
नई नजर हो तो सब कुछ नया है
नया साल भी नया है
पुराना यार भी नया है
करोडों साल का बूढा सूरज
रोज सबेरे नया नया है
रात में करते झिलमिल तारे
खरबों साल से नए नए हैं
इक बूढे की बूढी प्रियतम
प्रेम नयन से नई नई है
बच्चे की निश्छल ऑंखों में
बूढी दुनिया नई नई है
नई ऑंखें हों हर दिन नया है
नया साल को भी इंसा ही बनाता नया है
जीने के लिए कुछ झूठ भी चाहिए
इस काम में चहिए सिर्फ हकीकत कहॉ है
कविता अधूरी जैसी है । साल भी अभी बहुत बाकी है।
नए साल में नया क्या है
अपने खुश होने का बहाना क्या है
हकीकत को रुबरू कैसे करें
इस जिंदगी में नया क्या है
मेरे होने में नया क्या है
मेरे मिटने में नया क्या है
कुछ भी लिखने में नया क्या है
हर नये में नया क्या है
सुबहो शाम में नया क्या है
सोने जगने में नया क्या है
हुस्न -ए-उल्फत में नया क्या है
एक चमडी की हकीकत क्या है
अपने इल्म का फायदा क्या है
काम यह कहीं आता क्या है
मत पूछो नया साल लाता क्या है
कहिए इंसा नया करता क्या है
सच नए साल में नया क्या है
नई नजर में कुछ नया क्या है ?
किसी ने पूछा जिंदगी क्या है
हमने पूछा जीने का बहाना क्या है
नई नजर हो तो सब कुछ नया है
नया साल भी नया है
पुराना यार भी नया है
करोडों साल का बूढा सूरज
रोज सबेरे नया नया है
रात में करते झिलमिल तारे
खरबों साल से नए नए हैं
इक बूढे की बूढी प्रियतम
प्रेम नयन से नई नई है
बच्चे की निश्छल ऑंखों में
बूढी दुनिया नई नई है
नई ऑंखें हों हर दिन नया है
नया साल को भी इंसा ही बनाता नया है
जीने के लिए कुछ झूठ भी चाहिए
इस काम में चहिए सिर्फ हकीकत कहॉ है
कविता अधूरी जैसी है । साल भी अभी बहुत बाकी है।
नई नजर हो तो सब कुछ नया है
ReplyDeleteनया साल भी नया है
पुराना यार भी नया है
करोडों साल का बूढा सूरज
रोज सबेरे नया नया है
रात में करते झिलमिल तारे
खरबों साल से नए नए हैं
इक बूढे की बूढी प्रियतम
प्रेम नयन से नई नई है
बच्चे की निश्छल ऑंखों में
बूढी दुनिया नई नई है
बिल्कुल सही है कि अगर नज़र ,नज़रिया , विचार नए हों तो सब कुछ नया है ,वर्ना ज़िंदगी के परिवर्तन भी नए नहीं लगते
यदि चाहें कि अगला पल नया हो, तो हो जायेगा।
ReplyDeleteनई ऑंखें हों हर दिन नया है
ReplyDeleteनया साल को भी इंसा ही बनाता नया है
जीने के लिए कुछ झूठ भी चाहिए
इस काम में चहिए सिर्फ हकीकत कहॉ है..
जीने के लिए कुछ झूठ चाहिए....सच में सर जीने के लिए कुछ झूठे सपने ..कुछ झूठे सपने और कुछ उम्मीदें..की आगे कुछ अच्छा होगा...
शानदार kavita...
Wonderful and refreshing poem, especially after it took a U-turn!
ReplyDeleteमन-मन में पूरी होती रहेगी कविता.
ReplyDeleteकविता पूरी होने का इंतज़ार है ...
ReplyDeleteइस इंतज़ार में नया क्या है?
नया कथ्य है नई कहन है
ReplyDeleteवैचारिक उन्मेष गहन है
करोडों साल का बूढा सूरज
रोज सबेरे नया नया है
इक बूढे की बूढी प्रियतम
प्रेम नयन से नई नई है
इसको कोई कहे पुराना
हमको भला कहाँ सहन है!
...बधाई।
किसी ने पूछा जिंदगी क्या है
ReplyDeleteहमने पूछा जीने का बहाना क्या है
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
नई ऑंखें हों हर दिन नया है
ReplyDeleteनया साल को भी इंसा ही बनाता नया है
जीने के लिए कुछ झूठ भी चाहिए
इस काम में चहिए सिर्फ हकीकत कहॉ है
वाह!! बहुत सुन्दर है. वैसे यदि अब आप इसे rewrite करें तो और भी बेहतर बना सकते हैं.