February 04, 2011

तर्क

आठवीं कक्षा में पढने वाले अपने पोते नीशू को बल्‍ला लेकर जाते हुए देखकर दादाजी ने मजाक में पूछा -

"कहाँ  चल दिए यह गदा लेकर शहजादे?"

"क्रिकेट खेलने"  नीशू ने जवाब दिया ।



" क्रिकेट खेलकर लगता है सब सचिन तेंदुलकर ही बन जाऍंगे। यह नहीं कि अपनी  पढाई - लिखाई में ध्‍यान दें"  दादाजी ने व्‍यंग मारते हुए कहा।

" तो पढ-लिखकर ही कौन सा सब के सब आइंस्‍टीन बन जाऍंगे"   नीशू ने जाते- जाते जवाब दिया।

दादाजी पहले तो चुप रह गए।  फिर हँसकर कहने लगे आजकल के बच्‍चे भी न,  तर्क बहुत करने लगे हैं !

9 comments:

  1. गनीमत है दादाजी ने हंस कर कहा, कुढ़ कर नहीं.

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  2. तर्क दोनों ही
    अपनी जगह सही हैं ...
    और कथा
    अपना तर्क अच्छी तरह समझा पाने में
    कामयाब रही है.....
    अभिवादन .

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  3. अब बहुत गलत भी तो नहीं कहा, किसने कहा था उन्हे उकसाने के लिये।

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  4. समाज की सच्ची तस्वीर खींची है बहुत कम शब्दों में
    और अपनी बात कहने में सफल भी हो
    बहुत बढ़िया

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  5. ये दादा लोग किसी भी पीढ़ी को हों हमेशा एक ही डायलोग क्यों मरते हैं...? आजकल के बच्‍चे भी न, तर्क बहुत करने लगे हैं

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  6. आपका पोता आठवीं में पढता है क्या?

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नेकी कर दरिया में डाल