इस मानसून में सुदर्शन फाकिर की यह लाइन बहुत मौजूं हैं। बरसात में शराब तो बरसने से रही पानी भी नहीं बरस रहा। सुदर्शन फाकिर के जीवन के बारे में मुझे रवीन्द्र कालिया के उपन्यास गालिब छूटी शराब से पहली बार जानकारी मिली। उन्होंने एक से एक बढिया गजल लिखी हैं। उनमें से कुछ गजलों को आपने सुना जरुर होगा क्योंकि बहुप्रसिद्ध गजलें हैं। लेकिन कम लोग जानते होंगे कि उन्हें सुदर्शन फाकिर ने लिखा है। जैसे कि वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी, आदमी आदमी को क्या देगा, शेख जी थोडा पीकर आइए, ढल गया आफताब ऐ साकी ..... हर गजल बेमिसाल है। सारी गजलें कविता कोश में पढी जा सकती हैं। उनकी लिखी हुई और बेगम अख्तर की गाई ठुमरी हमरी अटरिया पे आओ संवरिया, देखा देखी बलम होइ जाए आओ सजन हमरे द्वारे, सारा झगड़ा खतम होइ जाए भी बहुत प्रसिद्ध है।
हमारे महान जम्बूद्वीप (इसे जम्बूद्वीप क्यों कहते हैं ?) में दिल तोडने वाले फैक्टरों जैसे सरकारें, मंहगाई, नेता, लोकपाल, पाकिस्तान, ओलम्पिक, फ्लाप फिल्में, सचिन तेंदुलकर, बॉलीवुड हीरोइनों, स्वयंवर बालाओं, इंडियन आइडल टाइप कार्यक्रम के जजों, और और और और के अलावा मानसून भी एक बडा नाम है। हालॉंकि मानसून का संबंध दिल के नीचे वाले हिस्से जिसे पेट कहा जाता है, से ज्यादा। इसलिए मानसून दिल के साथ - साथ पेट तोडने की भी क्षमता रखता है। नियम के उलट इस तोड फोड की शुरुआत सबसे पहले मजबूत दिल और मजबूत पेट वालों से होती है।
अब सुदर्शन फाकिर की पंक्ति को समझा जा सकता है कि बरसात का नशा शराब से कितने हाई लेवल का होता है कि मिलने में जरा भी देर हुई की इंसान फडफडाने लगता है।
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राष्ट्रपति चुनाव के नाम पर न्यूज चैनलों ने प्राइम टाइम देखने वालों का बहुत सारा घंटा बिगाडा। काफी बहसें हुईं। देखकर हमेशा यही ख्याल आता था कि जिस पद पर बैठे व्यक्ति का नीति निर्धारण में कोई अपना स्वतंत्र निर्णय करने का अधिकार नहीं है, केवल सिफारिशों पर सहमति देनी है, चिडिया बनाना है, उसके लिए इतनी हायतौबा क्यों मची। अपने देश में राष्ट्रपति का पद एक लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार की तरह है। आपने जो करना धरना था कर चुके अब आराम से राष्ट्रपति हो जाइए। वर्तमान राष्ट्रपति का नाम हमने पहली बार उनके राष्ट्रपति होने पर सुना था। ऐसे ही शख्सियत को राष्ट्रपति बनाना चाहिए जिसने काफी काम किया हो लेकिन राष्ट्रीय परिदृश्य में लोग उसे और उसके काम को न जानते हों। अब्दुल कलाम का राष्ट्रपति बनना भी मुझे जमा नहीं था। उनकी छवि हमारे मन में एक मिसाइल मैन वैज्ञानिक के रुप में थी । हमें लगा कि उन्हें उसी क्षेत्र में काम करना चाहिए था। खैर ... यह तो आम इंसान अपने अपने स्तर पर कुछ का कुछ सोचता ही रहता है।
दिल के हाल सुधरेंगे जल्दी ही। बरसात भी होगी।
ReplyDeleteदिलतोड़ू बरसात से हमारा पुराना रिश्ता है..
ReplyDeleteपता नहीं कब होगी ये दिल तोड़ने वाली बरसात :( :(
ReplyDeleteहमारे यहाँ तो हर सप्ताह बारिश होती है :-)
ReplyDeletedil milane ki barsat honi chahiye
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