May 09, 2010

'मदर्स डे' का हल्‍ला

आज 'मदर्स डे' का हल्‍ला है । यह हल्‍ला हमें तब दिखाई पडा जब हम अपनी आदत के मुताबिक सुबह देर से सोकर जगे । अखबार में, एफएम रेडियो में, फिर जब इंटरनेट पर बैठे तो फेसबुक में ब्‍लॉग्‍स में, हर तरफ मदर्स डे से संबंधित बातें दिखाई पडीं । इससे हमें पक्‍का यकीन हो गया कि आज 'मदर्स डे' अर्थात अपनी अपनी मम्‍मी के प्रति भावुक होने , स्‍मरण करने और सबसे ऊपर इन बातों को प्रद‍िर्शित करने का दिन है । तो हमने सोचा कि क्‍यों न इसका फायदा उठाते हुए ब्‍लॉग पर एक ब्‍लॉग पोस्‍ट का इजाफा किया जाए । साथ ही अपने अमूल्‍य विचारों से हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत को लाभान्वित किया जाए । यदि कोई मित्र लाभान्वित महसूस न करें तो एक टिप्‍पणी छोड दें । हम प्रतिटिप्‍पणी करके लाभानिवत करके ही मानेंगे ।

मदर्स डे के बारे में और अधिक जानकारी के लिए हमने गूगल जी से अनुरोध किया तो उन्‍होंने
सर्वप्रथम विकीपीडिया कोष में जाने की सलाह दी । वहॉं पर बताया गया है कि "

The modern Mother's Day is celebrated on various days in many parts of the world, most commonly in May, though also celebrated in March in some countries, as a day to honour mothers and motherhood. In the UK and Ireland it follows the old traditions of Mothering Sunday, celebrated in March.
Father's Day is a corresponding day honoring fathers. It was thought up in 1910 by Sonora Smart Dodd, after listening to a Mother's Day sermon.[1] "

इन्‍होंने फादर्स डे के बारे में भी जानकारी दी है । हर डे का एक दिन होता है । लेकिन आज मदर्स डे इसलिए उसी की बात की जायेगी ।

हालॉंकि हमें प्रायाजित डे वगैरह मनाये जाने में कोई रुचि नहीं है । खासकर जब यह डे रिश्‍तों से संब‍ंधित हों । पर्यावरण दिवस , जनसंख्‍या दिवस या मद्य‍ निषेध दिवस वगैरह वगैरह से इन विषयों से संबंधित जागरुकता फैलायी जाती है । उसी तरह रिश्‍तों के महत्‍व को बताने के लिए अलग अलग डे निकाले गए हैं । तो हालात यहॉं तक आ पहुँचे हैं कि मदर्स डे भी मनाना पड रहा है । जिससे लोग मॉं के महत्‍व और उसके द्वारा परिवार और समाज के प्रति योगदानों से परिचित हों । सही हो या गलत लेकिन मुझे व्‍यक्तिगत रूप से यह सब बहुत औपचारिक और बनावटी लगता है । या शायद यह सोच मेरी गॉंव , कस्‍बों वाली पृष्‍ठभूमि और वहॉं पायी जाने वाली हिन्‍दी माध्‍यम सरकारी स्‍कूलों के प्रोडक्‍ट होने की वजह से हो । मॉं बाप भाई बहन को आप जितना भी प्‍यार करो लेकिन सीधे सीधे प्रेम प्रदर्शित करने वाले वाक्‍य नहीं बोले जा सकते भले ही कोई
अमेरिका में ही दस साल बिताकर आ रहा हो । आने वाली पीढी बोलेगी। अपनी अपनी सोच है । और हमारी सोच यह है कि इन सब रिश्‍तों की भावुकताओं को बाजारवादी ताकतें कैश कर रही हैं । एक एसएमएस पैक । कहने का मन करता है कि सब पैसों की चोचलेबाजी है । विडबंना यह है कि जो लोग स्त्रियों को औकात में रहने की नसीहत देते रहते हैं , वे भी मां का बहुत महिमामंडन करते रहते हैं । आधुनिक समय में एक और प्रवृत्ति पश्चिमी देशों में धीरे धीरे फैल रही है । इसके तहत औरतों को मॉं बनने में कोई फायदा नजर नहीं आता सिवाय झंझट के । इसलिए अब उधर की महिलाऍं बच्‍चे पैदा करने में ज्‍यादा उत्‍सुकता नहीं दिखा रही हैं । जापान की जनसंख्‍या कम होती जा रही है , इसलिए वहॉं की सरकार ने बच्‍चे पैदा करने के लिए प्रोत्‍साहन योजना शुरू की है ।


मुझे तो मदर्स डे मनाना मॉं के प्रति औपचारिक होने जैसा लगता है । वैसे भी यह अवधारणा पश्चिम की है , क्‍योंकि वहॉं के लोगों को मदर्स डे के मार्फत मदर्स को याद करना पडता है । खैर जो भी हो भारतीय लोगों में अभी भी मॉं के प्रति बेहद भावुकता दिखती है । व्‍यवहारिक धरातल पर सच्‍चा प्रेम करने वाली औलादें मॉं की परवाह और देखभाल के लिए एक दूसरे का मुँह नहीं ताकतीं ।

हमने मॉं के प्रेम से संबंधित जो सबसे प्रभावित करने वाली कहानी पढी थी , उसका सारांश हमें आज भी याद है । लेखक का नाम याद नहीं है और यह भी याद नहीं कि कब और कहॉं पढी थी ।

कहानी यूं थी कि एक मॉं का लाडला बेटा अपनी माशूका से बहु‍त ज्‍यादा प्‍यार करता था , जब उसने अपनी माशूका के सामने शादी का प्रस्‍ताव रखा तो उसकी माशूका ने एक शर्त रखी कि वह उससे शादी तभी कर सकती है जब उसका प्रेमी अपनी मॉं का दिल निकालकर लाए और उसके सामने प्रस्‍तुत करे । लडका प्रेम में इतना पागल था कि वह अपनी प्रे़मिका के लिए कुछ भी कर सकता था । वह भागा अपने घर की तरफ पहुचते ही मॉं की हत्‍या की और उसका दिल निकाल कर हाथ में लेकर दौडता हुआ अपनी प्रेमिका को भेंट देने के लिए उल्‍टे पॉव लौट पडा । हटबडाहट मे रास्‍ते में एक पत्‍थर से पैर टकरा जाने की वजह से वह लडखडाकर गिर पडा । तभी मॉं के दिल से आवाज आई - "बेटा तुझे कहीं चोट तो नहीं लगी" ! यह होता है मॉं का दिल इसीलिए कहा
गया है कि Mothers are all slightly insane. - J. D. Salinger

दुनिया में 'प्रेम' के बाद 'मॉं' ही ऐसा शब्‍द है , जो सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय है । ऐसा हमने कहीं पढा था ।

4 comments:

  1. Pahle mai bhi yahi sochti thi....jab mere bachhe mujhse door hue,tab manme vichar aane lage...Y log kabhi to kahen ki,maa tumhari yaad aati hai..us waqt mujhe mahsoos hua,ki meri maa ko bhi zaroor chahat hogi ki,ham kabhi apne muhse use kahen,ki,maa tumhari bahut yaad aati hai...sirf aajke din nahi..baar,baar..aaj meri maa ne palat ke phone kiya aur kaha,' mujhe behad sukun mila jab tune khud hoke mujhe phone kiya aur kaha,ki,tujhe meri harwaqt yaad aati rahti hai..'Sunke mujhe bhi achha laga..Mujhse behad pyar karne wale mere Dadaji ko jeete ji maine kabhi nahi mahsoos karaya ki,unhon ne mere liye kya kuchh nahi kiya..aur man aaj glani se bhar uthta hai..

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  2. अच्छी पोस्ट । बाज़ार कैश कर रहा है लेकिन यह भी सच है कि अब दूरियाँ बढ़ने लगी हैं। इसी बहाने सम्वेदनाएँ अगर पुष्ट हों तो क्या बुराई है ?
    हर पश्चिमी अवधारणा अपने देश में एक 'देसी' रूप भी लेती है। मुझे विश्वास है कि ऐसी रीतियाँ भी यहाँ सकारात्मक रूप लेंगी।
    अब आप बहुत कम दिखते हैं या मैं ही कम विचरण करने लगा हूँ ? :-/

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  3. @ क्षमा जी, शुक्रिया अपने अनुभव साझा करने के लिए :)]

    @ Giribala, some halla and some gulla :))

    @ गिरजेश राव, आप ठीक कह रहे हैं बंधुवर , अब इधर भी क्षतिपूर्ति करने की जरूरत आन पडी है । नई पीढी इसे इसी तरह अपनी स्‍टाइल में करेगी ही ।

    रही बात कम दिखने की तो आपकी दोनों ही बातें सही हैं हम भी कम दिखते हैं और आप भी कम विचरण करते हैं =))

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नेकी कर दरिया में डाल