January 11, 2010

संबंध - खुशियों की चाबी खुद की जेब में रखें

"मुझे याद आता है कि जब मैं एक छोटी सी लडकी थी , मेरी मॉं हमारे लिए नाश्ता और रात का खाना बनाया करती थी एक दिन की घटना मुझे खासतौर पर याद आती है जब मॉं ने एक पहाड जैसे दिन में कठोर थकाने वाला श्रम करने के बाद घर आकर हमारे लिए रात का खाना बनाया था कई वर्षों पहले की उस शाम को मेरी मॉं ने मेरे पिता के सामने खाने के लिए सब्जी , सलाद और जली हुई रोटियां परोसी थीं मैं इंतजार कर रही थी कि इस बात पर क्या कोई ध्यान दे रहा है, कि रोटियॉं जली हुई हैं लेकिन मेरे पिताजी अपने भोजन के लिए थाली के सामने बैठकर, खाने के लिए रोटी उठाते हुए मॉं को देखकर मुस्कुराये और मुझसे पूछने लगे कि आज मैंने स्कूल में क्या किया मुझे याद नहीं कि मैंने उस रात पापा से क्या कहा लेकिन पापा का जली हुई रोटी पर चटनी फैलाकर रोटी के कौर खाना मुझे अभी तक याद है

उस शाम खाना खाकर उठने के बाद मैंने मॉं को जली हुई रोटियों के लिए पापा से क्षमा मॉंगते हुए सुना । इस पर उन्‍होंने जो कहा वह मैं कभी नहीं भूल सकती - "प्रिय मुझे जली हुई रोटियॉं पसंद हैं "

दूसरे दिन मैंने जब पापा को रात में गुड नाइट बोलने गई और मैंने उनसे प्रश्‍न किया कि क्‍या आपको जली हुई रोटियाँ खाना सचमुच अच्‍छा लगता है ?

उन्‍होंने मुझे बाहों में भर लिया और कहने लगे "मेरी लाडली ! तुम्‍हारी मॉं आज पूरा दिन कडी मेहनत करने के बाद यकीनन काफी थकी हुई थीं । और एक जली हुई रोटी की ओर ध्‍यान देने की अपेक्षा किसी का दिल न दुखाना अधिक महत्‍वपूर्ण है । तुमको पता है बेटी ! यह दुनिया अपूर्ण वस्‍तुओं और अपूर्ण मनुष्‍यों से भरी पडी है । बल्कि यह अपूर्णताओं से ही बनी है ।"

मैं कोई बहुत अच्‍छी गृहिणी नही हूँ लेकिन वर्षों के अनुभव से मैंने सीखा है कि एक दूसरे के दोषों को स्‍वीकार करना और भिन्‍नताओं का आनंद लेना ही एक स्‍वस्‍थ और टिकाऊ संबंध का आधार है । जिससे कि एक जली हुई रोटी संबंधों के टूटने की वजह न बने । इस बात को हम किसी भी संबंध पति-प‍त्‍नी, माता-पिता दोस्‍त या रिश्‍तेदार पर लागू कर सकते हैं , क्‍योंकि एक दूसरे को समझना ही रिश्‍तों का मूल आधार होता है ।"

"कृपया अपनी खुशियों की चाबी , दूसरों की नहीं खुद की जेब में रखें । peace

यह एक दोस्‍त के द्वारा अग्रेषित की गई ईमेल का अँग्रेजी से हिन्‍दी अनुवाद है । मुझे अच्‍छी लगी इसलिए साझा किया ।

यह पोस्‍ट आपको उपदेशात्‍मक लगी या अच्‍छी लगी ?tepuktangan

7 comments:

  1. यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी.... उपदेशात्मक तो कतई नहीं है.... मेसेज है... कि हमेशा खुद भी खुश रहो और दूसरों को खुश रखो.... बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....

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  2. यह रचना नहीं जीवन का सार है। दिल को छू गई ।

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  3. प्रेरणास्पद लगी..सीखने योग्य बातें.

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  4. Arkjesh Kumar जी धन्यवाद इस पोस्ट को हमारे साथ साझा करने के लिए....वाकई जीवन में खूशियां चारों तरफ बिखरी पड़ी है.....बस उन्हें बटोरने वाला चाहिए।....

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  5. views24hours.com...

    Arkjesh Kumar जी धन्यवाद इस पोस्ट को हमारे साथ साझा करने के लिए....वाकई जीवन में खूशियां चारों तरफ बिखरी पड़ी है.....बस उन्हें बटोरने वाला चाहिए।

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  6. कितनी तारीफ़ और कितना धन्यवाद करूं? बहुत अच्छा किया जो इस कथा को साझा किया. धन्यवाद.

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नेकी कर दरिया में डाल