April 30, 2012

नया खिलौना

नया खिलौना मैंने पाया
मेरे मन को है यह भाया

खेलूं मैं इससे सारा दिन
रहूं नहीं पल भर इसके बिन

बच्‍चों को जब इसे दिखाया
सबके मन में लालच आया 


पक्‍का साथी हमें बना लो
हमको अपनी ओर मिला लो

देखो तुम हो कितने अच्‍छे
तुम ही मेरे दोस्‍त हो सच्‍चे

खेलेंगे हम तुम मिलजुलकर
देखूं जरा हाथ में लेकर

सब के सब मेरे पीछे भागें
पर मैं रहता सबसे आगे

अपनी चीजें मुझे खिलाते
वे ही थोडी देर को पाते

रात को जब मैं सोने जाता
साथ खिलौने को ले जाता

सुबह सुबह जब ऑंखें खुलतीं
नजर खिलौने पर ही टिकतीं

मम्‍मी पापा शोर मचाते
खा लो खाना मुझे बुलाते

जल्‍दी जल्‍दी खाना खाता
और खेलने में लग जाता

पर यह थी कुछ दिन की बात
वह थी नई नई सौगात

अब इसमें है मन नहीं भरता
उठा पटक  कर इसे खेलता
 
इक दिन गया खिलौना रुठ
इसकी गई टॉंग एक टूट

पापा मुझको सैर करा दो
नया खिलौना मुझको ला दो

6 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर बाल कविता।

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  2. सुन्दर बाल कविता !!!!!!!!!

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  3. बहुत सुंदर बाल गीत।

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  4. बच्‍चों को जब इसे दिखाया
    सबके मन में लालच आया

    पक्‍का साथी हमें बना लो
    हमको अपनी ओर मिला लो

    देखो तुम हो कितने अच्‍छे
    तुम ही मेरे दोस्‍त हो सच्‍चे

    खेलेंगे हम तुम मिलजुलकर
    देखूं जरा हाथ में लेकर
    वाह!! बहुत सुन्दर बाल मनोविज्ञान का चित्रण.

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  5. पापा खिलौना भी लाकर देते हैं और फिर उस पर कविता भी लिख देते हैं :-)

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नेकी कर दरिया में डाल