July 23, 2010

घुमड घुमड कर आए बादल ( कविता छोटे बच्‍चों के लिए )

कविता लिखी बच्‍चों के लिए (बडे बच्‍चे भी आजमा सकते )


घुमड घुमड कर आए बादल
रिमझिम ब‍ारिश लाए बादल

गर्मी ने खुब की शैतानी
ठंडी बूँद गिराए बादल


तड तड तड तड बिजली चमके
गड गड गड गुर्राए बादल

कागज की है नाव तैरती
नदी सडक पर लाए बादल

छप छप छप छप बिट्टू चलती
छींटों से घबराए बादल

सर सर सर सर हवा बह रही
पौधों को हर्षाए बादल

झूम रही हैं डाली डाली
पत्‍तों को नहलाए बादल

चिडिया झटक रही पंखों को
उसके पंख भिगाए बादल

चिंटू मिंटू खेलें पानी
मम्‍मा से डांट खिलाए बादल

बिट्टू की तो हो गई छुट्टी
सब से काम कराए बादल

छतरी लेकर निकलीं मैडम
जोर से बारिश लाए बादल

कुत्‍ते ने
छाता क्‍यों न लगाया
पप्‍पू का प्रश्‍न उठाए बादल

दादा बोले अब तो बरसो
बहुत देर से आए बादल

जल्‍दी जल्‍दी लौट रहे थे
घर में कुछ भूल आए बादल

12 comments:

  1. दादा बोले अब तो बरसो
    बहुत देर से आए बादल
    Bachpan aur Dada dono yaad aa gaye.

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  2. :)) तो अब बाल-कविता पर भी हाथ साफ़ किया जा रहा है? कोई विधा छोड़ेंगे??

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  3. बढ़िया है ...मुझे पसंद आई ..

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  4. बहुत ही अच्छी लगी बाल रचना .

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  5. बड़े बच्चों के लिये भी है, यह कविता।

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  6. बादल और बरसात का समां बांध दिया है आपने।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    आज हमारे ब्लॉग पर धारासार धरा पर लिखे अकल्पित नाश की चर्चा है।
    http://manojiofs.blogspot.com/2010/07/blog-post_24.html

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  7. :)) kyaa baat hai !
    aaj kal bachchon ke saath bachche ho rahe ho.

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  8. स्वाधीनता दिवस पर हार्दिक शुभकामानाएं.

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  9. प्‍कुछ कमजोर पड़े दोहों के बावजूद प्‍यारी कविता.

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  10. वाह जी वाह ... अच्छी ग़ज़ल है बच्चों क़ि .... बहुत पसंद आई .....

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  11. मैं बड़ा बच्चा हूं। मुझे मज़ा आया।

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नेकी कर दरिया में डाल