June 22, 2009

इन्फ़्लुएन्जा H1N1 वाइरस की जांच : इस तरह भी होती है |

"क्या आपको जुकाम, बुखार या खांसी है?"
"नहीं"
"
ठीक है आप जा सकते हैं"
कुल
मिलाकर यही लब्बोलुआब था स्वाइन फ़्लू के परीक्षण का | अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डॆ पर, अमेरिका से आये हुए विमान यात्रियों का

मैं एक गांव के बहुत सम्मानीय झोला छाप डाक्टर को जानता हूं उनके इलाज का तरीका बहुत ही लोकतांत्रिक है पहले वो मरीज से पूछते हैं - "सुई लगा दूं?" यदि मरीज कहता है कि लगा दीजिये, तो पूछते हैं कि एक लगाऊं या दोनों लगा दूं इसके बाद मरीज की सहमति से सुई लगा देते हैं दो सुई उनका ब्रह्मास्त्र है। इसके बाद भी ठीक नहीं हुए तो सीधे जिला अस्पताल में भर्ती हो जाइये उन्होंने डाक्टरी कैसे सीखी यह एक रहस्य है |

ऐसी परिस्थिति में जब देश में स्वाइन फ़्लू के अब तक 50 मामले सामने चुके हैं, जिनमें से 5 मामले भारत में ही (Human to Human) संक्रमण के हैं इसलिये यह कोई मजाक का वक्त नहीं है हम मजाक कर भी नहीं रहे यदि ऐसा कुछ लगता है तो इसकी जिम्मेवारी चाहे जिसकी हो हमारी नहीं है हम तो केवल सच्चाई बयान कर रहे हैं

यद्यपि यह कोई खबरी ब्लॉग नहीं है क्योंकि हम ना कोई खबर देते हैं ना ही किसी की खबर लेते हैं फ़िर भी खास खबर है (२० जून को टाइम्स ओफ़ इन्डिया के पेज 4 पर छपी खबर के अनुसार) कि सरदार पटेल अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा अमेरिका से आने वाले विमान यात्रियों के "स्वाइन फ़्लू" के परीक्षण का विवरण कुछ इस प्रकार है

हेमाली पटेल (नाम परिवर्तित) ने जो कि एक छात्रा हैं, ने बताया कि अमेरिका से दो अंतर्राष्ट्रीय विमान के बहुत ही कम समयांतराल में एक के बाद एक पहुंच गये इसकी वजह से वहां पूरी तरह अफ़रा-तफ़री मची हुई थी इस भऊसे के माहौल में उन्हें दो तरह के फ़ॉर्म भरने को दिये गये एक इमाइग्रेशॅन फ़ॉर्म और दूसरा मेडिकल फ़ॉर्म मेडिकल फ़ॉर्म में व्यक्तिगत विवरण के अलावा अपना चिकित्सकीय इतिहास भी लिखना था

स्वास्थ्य और कल्याण विभाग के अधिकारियॊं ने उनसे पिछले एक वर्ष के दौरान यात्रा किये गये स्थानों के नाम पूछे और यह भी कि क्या वे खाँसी, बुखार या जुकाम से पीडित थे या नहीं हेमाली ने बताया कि मैनें नकारात्मक उत्तर दिया और अधिकारियों ने मुझे तुरन्त ही जाने की अनुमति दे दी

जिस स्थान पर विमान यात्रियों को जांच के लिये रोका गया था, वह जगह 300 यात्रियों के लिये बहुत ही छोटी थी

पेशे से डॉक्टर एक विमान यात्री ने बताया कि सबसे अच्छी व्यवस्था दुबई एअरपोर्ट पर थी जहां थेर्मोस्कैनिंग की सुविधा उपलब्ध थी विमान यात्री डॉक्टर ने बताया, यह पता चलने पर कि मैं पेशे से डॉक्टर हूं, चिकित्सकदलने मेरे परिवार की जांच करने का भी कष्ट भी नहीं उठाया

इसके अलावा हवाई अड्डॆ के अधिकारियों ने बताया कि मॉस्क केवल चिकित्सा दल को उपलब्ध कराया गया था हवाई स्टॉफ़ बिना मॉस्क के ही काम कर रहा था कुछ दिन पहले एअर पोर्ट के स्टॉफ़ को मॉस्क पहनने के निर्देश दिये गये थे, लेकिन कोई भी इसका पालन करता हुआ दिखाई नहीं दे रहा था

सन 1918-19 में स्पैनिश फ़्लू महामारी से लगभग 40 लाख लोगों की मौत हुई थी यह वाइरस बार-बार अपना जीन बदलने के लिये बदनाम है । चिकित्सा विज्ञान की भाषा में इसे ’एन्टिजेनिक शिफ्ट’ कहते हैं | यह मार्च के महीने में शुरू हुई थी और साल के अन्त में इसकी दूसरी घातक लहर आई थी विशेषज्ञों के अनुसार यह बीमारी एक बार हमला करने के बाद जब दुबारा लौटकर आती है तो इसका प्रभाव ज्यादा घातक होता है

यह सिर्फ़ एक उदाहरण था कि भारत जैसे विकासशील देश कैसे महामारियों के सोफ़्ट टारगेट होते हैं ऐसे देशों की चिकित्सा या सुरक्षा प्रणाली कुछ इस तरह की होती है कि जब चीजें नियन्त्रण से बाहर होने लगती है तभी जागते हैं अभी फ़िलहाल धन्यवाद केवल गरमी को दिया जा सकता है जिसकी वजह से वाइरस H1N1 ने भयावह रूप अभी तक नहीं लिया है, क्योंकि ठण्ड जलवायु इसके लिए ज्यादा अनुकूल होती है | लेकिन इस तरह से ज्यादा दिन तक नहीं बचा जा सकता क्योंकि मानसून आने वाला है और उसके बाद ठंडी का मौसम भी

प्रकृति सरकारी तन्त्र को चेतावनी देकर तैयारी का काफ़ी समय दे चुकी है अब यह सरकार के ऊपर है कि वह बीमारी को फैलाने से रोकने के लिए अपने तंत्र का कितना उपयोग कर पाती है |

नाम बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह हाल सिर्फ़ अहमदाबाद एअरपोर्ट का ही नहीं है ,बल्कि देश भर में हवाई अड्डों में जांच की लगभग यही स्थिति है

यह घटना सिर्फ़ एक उदाहरण भर है | बाकी हम उम्मीद करते हैं की जांच की स्थिति अब पहले से बेहतर हुई होगी |

5 comments:

  1. इसी ढीले-पोले रवैये के कारण अब तक पैतीस मामले स्वाइन फ़्लू के सामने आ चुके हैं. शानदार, विचारोत्तेजक लेख. बधाई.

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  2. ये स्वाईन फ्लू नामक रोग कहीं महामारी का रूप न ले ले, इससे पहले ही इसके रोकथाम के लिए बृ्हद स्तर पर सरकारी एवं गैरसरकारी प्रयास् आरम्भ हो जाने चाहिए......

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  3. स्वाइन फ्लू के बढ्ते मामले देखकर आपकी बात सही लगती है । सटीक व्यंग्य !

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  4. बहुत सुंदर प्रहार किया है आपने इस व्यंग्य के माध्यम से.. आभार

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  5. Bahut khoobsurat varnan. aapne sahi bilkul sahi kaha ki es tarah ki vyawastha ke chalte hi vikassheel rashtry mahamariyon ke shikar hote hain

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नेकी कर दरिया में डाल