June 12, 2009

आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रो पर हमला : भारतीय भी कुछ सबक लें |

आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर किये जा रहे नस्लीय हमले की घटनाओं ने कई बातें एक साथ जेहन में ला दीं ।

मोहन दास करमचन्द गांधी, मार्टिन लूथर किंग, अब्राहम लिंकन, नेल्सन मंडेला याद आये जिन्होंने नस्लभेद के खिलाफ़ लडाइयां लडीं और हिटलर भी जिन्होंने नस्लीय सनक के चलते लाखों यहूदियों को मरवा दिया ।

अपने भारत देश की बात करें तो हाल फ़िलहाल में पैदा हुए खाली दिमाग वीर राज ठाकरे और वरुण गांधी हैं ।
राज ठाकरे जी चुप्पी साधे हैं, कुछ कहने लायक नहीं हैं, कहें भी क्या उन्होंने भी वही काम किया था जो आस्ट्रेलिया में सिरफिरे लोग कर रहे हैं | जानते हैं कुछ कहना खतरे से खाली नहीं है।
हाल ही में उन्होंने उत्तरप्रदेश और बिहार के छात्रों को पिटवाया था और परीक्षा देना दूभर कर दिया था । आस्ट्रेलिया में भी छात्रों पर ही संकट है । यह भी हो सकता है कि वहां के हमलावरों ने राज ठाकरॆ से सबक लिया हो ।

अपने भारत की बात करें यहां स्वीकृत नस्लभेद जातिभेद के रूप में हैं । इसका समर्थन करने वाले हैं वे लोग हैं जो अपने आपको जन्म के आधार पर दूसरों से श्रेष्ठ समझते हैं । मनु, बुद्ध, अम्बेडकर और आडवाणी भी हैं ।
"अछूत" भारत देश का ही शब्द है । भारत के बाहर गुलाम थे पर अछूत नहीं । मैं इसे किसी भी सभ्यता की सबसे शर्मनाक और अपमानजनक अवधारणा मानता हूँ - मनुष्य के लिए |

कनाडा मॆं भी भारतीय छात्रों पर हमले कि घटनायें हुई हैं । अपने दावों के बावजूद आस्ट्रेलियाई सरकार ने इन हमलों को उतनी गम्भीरता से नहीं लिया है, हमलावरों के खिलाफ़ सख्त कदम नहीं उठाये जाते । यही वजह है कि उनके हौसले बुलन्द हैं । भारतीय छात्रों को वहां अपील करने का अधिकार नहीं है । दोषियों को सामान्य कानूनी कार्यवाही करके छोड दिया जाता है ।

इन नस्लीय हमलों ने कुछ सवाल भी खडॆ किये हैं ।
अपने देश में स्तरीय शिक्षण संस्थान होने के बावजूद इतनी बडी संख्या में भारतीय छात्र बाहर पढने के लिये क्यों जाते हैं । जबकि बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारतीय छात्रों को भारत मे ही अच्छे वेतन पर काम देती हैं । सिर्फ़ आस्ट्रेलिया में ही ९०,०००,०० भारतीय छात्र हैं । ये सब क्या वहां खप जायेंगे | भारत हर साल एक आस्ट्रेलिया के बराबर जन पैदा करता है |

जाहिर है छात्रों के बाहर जाने के कई कारण हो सकते हैं । जैसे आस्ट्रेलिया या विदेश में पार्ट टाइम जॉब करने की सुविधा । वहां हर छात्र पार्ट टाइम जॉब करता है और साथ में पढाई भी करता है । पढाई करने के बाद छात्र वहीं सेटल होने की कोशिश करते हैं ।

लेकिन सबसे बडी चीज जो भारतीय छात्रों या भारतीयॊं को यूरोप, अमेरिका या आस्ट्रेलिया जाने के लिये लुभाती है, वहां की प्रणाली या सिस्टम ।

यदि यह कहा जाय कि भारतीय लोगों के भारत छोड कर जाने का एक बडा कारण यहां की व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार, पक्षपात, लालफ़ीताशाही और यहां की लाइन हैं, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी । कम्पूटर-इन्टरनेट और तकनीकी क्रान्ति के बावजूद हमारे यहां की लाइनें समाप्त नहीं हुई हैं । छोटे शहरॊ और बडे कस्बॊं में तो एटीएम में भी सीजन में लम्बी लाइन लगानी पडती है । भ्रष्टाचार तो जातिवाद की तरह स्वीकृत जैसा हो गया है |

इन सबसे छुटकारा पाने के लिये मध्यम वर्ग के लडके/लडकियां एब्राड की जीवन शैली की ओर आकर्षित होते हैं और व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने के लिये जाते हैं ।

यह बात अलग है कि जैसे गांव का आदमी जब शहर मे बस जाता है तो कभी-कभी उसे गांव की याद आ जाती है । गर्मियों की छुट्टियों में जब वह सपरिवार गांव जाता है तो लडके बच्चे वहां और खुद वह वहां की असुविधाओं जैसे बिजली न रहना, पानी की कमी, पारिवारिक झगडों इत्यादि की वजह से समय से पहले ही भाग खडे होते हैं । यही हाल होता है जब एनआरआई भाई लोग इंडिया आते हैं | शहर में रहकर गाँव के प्रति भावुक होना आसान है, गाँव में रहना नहीं | वैसे ही विदेशों में रहने वालों को देशभक्ति ज्यादा उमड़ती है क्योंकि वे वहां से देश को इन्टरनेट और टीवी के माध्यम से ही जानते हैं |

बढते हमलों की वजह से नस्लभेद का मामला अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सामने आया । लेकिन इन घटनाओं से पहले भी भारतीय छात्रों को "ब्लैक मंकी" कहकर चिढाया जाता रहा है ।

आस्ट्रेलियाई सरकार को इसके ख़िलाफ़ सख्त कदम उठाना चाहिए, तभी इस तरह की घटनाएँ रुक सकती हैं | आस्ट्रेलिया में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के सुरक्षा की जिम्मेवारी आस्ट्रेलियाई सरकार की है | भारत सरकार को भी अपना लल्लू रवैया छोड़कर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आस्ट्रेलियाई सरकार पर दबाव बनाना चाहिए |

चाहे भारत हो या आस्ट्रेलिया या कोई अन्य देश नस्लीय, जातीय, भाषाई या क्षेत्रीय आधार पर निर्दोष लोगों को मारने और उनका मौन समर्थन करने वालों को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि कल उनके साथ भी यही हो सकता है, क्योंकि बुराई की मार सबके ऊपर समान रूप से होती है |

क्योंकि बुराई एक भस्मासुर है, जो अंततः उसे पैदा करने वाले पर ही हमला बोलती है |

8 comments:

  1. Bahut sahi vishleshan hai.....

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  2. Bahut sahi vishleshan hai.....

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  3. बहुत बढिया सवाल उठाये हैं आपने. निश्चित रूप से ये सोचने पर मजबूर करते हैं.और अछूत वाली बात!! लगा जैसे आदमियत का ज़ख्म कुरेद दिया हो आपने. बधाई.

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  4. यह तो आपने बहुत सही मुद्दा उठाया है । सरकार का भी रवैया कुछ ढुलमुल किस्म का ही है । छात्र तो बाहर जायेंगे ही जब मौके कम हैं और छात्र ज्यादा तो जिसके जहां सींग समाते हैं वो वहीं चला जाता हे ।

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  5. nabz par haath rakha hai aapne.....
    samasya ki jad tak pahunche hain
    badhaai !

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  6. आपसे सौ प्रतिशत सहमत हूं !हमारे दिमागों से नस्लभेद का कीडा शिक्षा और ज्ञान से भी नहीं निकल पाता यह बेहद अफसोसजनक है !

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  7. Bilkul sahi bat utahye hain aap ki aap kisi ke sath karte hai to koi aap pe bhi kar sakta hai... Aisa ab ho raha hai...Raj thakre jaisa aadmi shayad kuchh sabak le...en ghatnaon se...

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नेकी कर दरिया में डाल