यह सब मैं भगत सिंह और उनके साथियों के संबंध में कह रहा हूँ। उन्हे मारने का केवल एक ही तरीका था, उनकी मूर्तियॉं बनवा दो, उनकी पूजा करनी शुरु कर दो। हमारे देश में मानवतावादियों समतावादियों को खत्म करने का एक बहुत ही नायाब तरीका बहुत प्राचीन समय से निकाला हुआ है। जिसके विचारों से इत्तफाक न रखते हुए भी आप उससे लड़ न सको उसकी पूजा शुरु कर दो। उसे महान घोषित करो। लेकिन कभी भी उसके विचारों की बात मत करो। उसने क्या कहा था इससे कोई मतलब ही नहीं बल्कि अपनी बात उसके मुँह से कहलवाओ। उसके श्रद्धांजलि कार्यक्रम में अपना एजेंडा पेश करो। जब साध्वी प्राची महात्मा गांधी के विरोध में और भगत सिंह के पक्ष में बोलती हैं तब उन्हें पता नहीं होता कि वह क्या कह रही हैं। वह कभी नहीं कहतीं कि भगत सिंह ने मैं नास्तिक क्यों हूँ नामक लेख लिखा था। साध्वी प्राची जैसे लोगों को लगता है कि भगत सिंह उन्हीं की तरह एक राष्ट्रवादी थे।