यह सब मैं भगत सिंह और उनके साथियों के संबंध में कह रहा हूँ। उन्हे मारने का केवल एक ही तरीका था, उनकी मूर्तियॉं बनवा दो, उनकी पूजा करनी शुरु कर दो। हमारे देश में मानवतावादियों समतावादियों को खत्म करने का एक बहुत ही नायाब तरीका बहुत प्राचीन समय से निकाला हुआ है। जिसके विचारों से इत्तफाक न रखते हुए भी आप उससे लड़ न सको उसकी पूजा शुरु कर दो। उसे महान घोषित करो। लेकिन कभी भी उसके विचारों की बात मत करो। उसने क्या कहा था इससे कोई मतलब ही नहीं बल्कि अपनी बात उसके मुँह से कहलवाओ। उसके श्रद्धांजलि कार्यक्रम में अपना एजेंडा पेश करो। जब साध्वी प्राची महात्मा गांधी के विरोध में और भगत सिंह के पक्ष में बोलती हैं तब उन्हें पता नहीं होता कि वह क्या कह रही हैं। वह कभी नहीं कहतीं कि भगत सिंह ने मैं नास्तिक क्यों हूँ नामक लेख लिखा था। साध्वी प्राची जैसे लोगों को लगता है कि भगत सिंह उन्हीं की तरह एक राष्ट्रवादी थे।
March 23, 2015
February 14, 2015
वेलेंटाइन डे - कृष्ण के बहाने
कृष्ण कन्हैया भारत भूमि पर प्रेम के इजहार के इस वेलेंटाइन दिन को
देखकर मुस्कुरा रहे थे। रुक्मणी ने सोचा कि लगता है इन्हें अपने पुराने
दिन याद आ रहे हैं। कुहनी मारते हुए बोलीं, "क्या बात है जी बहुत
मुस्कुरा रहे हो?" लगता है तुम्हें अपनी राधा और गोपियों के साथ बिताए
हुए पुराने दिन याद आ रहे हैं। ये बेचारे तो साल में एक दिन का इंतजार
करते हैं। प्रेम का बाकायदा इजहार और अपनी हैसियत के अनुसार मैनेज करने के
लिए। तुमने तो हद कर रखी थी रोज ही रास रचाते रहते थे और वो भी कोई एक
नहीं पूरी गॉव की गोपियों के साथ। मैंने सुन रखा है राधा नाम की तुम्हारी
कोई खास थी।
रुक्मणी की बात सुनकर कृष्ण हँस पडे। बोले
रुक्मे ! मैं चाहे वेलेंटाइन के रूप में आऊं या कृष्ण के रूप में या
राधा या मीरा के रूप में मैं किसी भी रूप में आ सकता हूँ प्रेम की हवा
फैलाने। आज जब साजिश करके मेरे प्रेम के संदेश को बिल्कुल हवाई और अलौकिक
कर दिया था, इस देश में तो मैं वेलेंटाइन जी के बहाने घुस आया हूँ, अधिक
सांसारिक होकर। वैसे भी इस भारत देश की आदत हो गई है सेकंड हैंड चीजें
इस्तेमाल करने की। यहॉं लाख दहाड मारकर चिल्लाते रहो कोई सुनेगा नहीं एक
बार विदेशी समर्थन कर दें तो समझ लो कि हो गया काम ।
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