tag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post7980268663030900550..comments2023-08-19T16:48:53.383+05:30Comments on अनौपचारिक: बीतता हुआ वर्ष !अर्कजेशhttp://www.blogger.com/profile/11173182509440667769noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-24888443980856314482009-12-31T00:48:55.376+05:302009-12-31T00:48:55.376+05:30Ek pure saal ko kuch panktiyo me samet dia ha aapn...Ek pure saal ko kuch panktiyo me samet dia ha aapne...<br />bohot acche....शबनम खानhttps://www.blogger.com/profile/13527939392236056369noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-27949744536215803702009-12-30T15:52:12.831+05:302009-12-30T15:52:12.831+05:30पुराने वर्ष का मूल्यांकन---और नये वर्ष का स्वागत क...पुराने वर्ष का मूल्यांकन---और नये वर्ष का स्वागत करती हुयी कविता--बेहतरीन कविता।<br />हेमन्त कुमारडा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03899926393197441540noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-80227784776968025872009-12-30T01:18:36.429+05:302009-12-30T01:18:36.429+05:30अर्कजेश.. बड़ा मुश्किल है साल का हिसाब किताब रखना....अर्कजेश.. बड़ा मुश्किल है साल का हिसाब किताब रखना... और उससे भी ज्यादा मुश्किल अगले साल का हिसाब रखना... बेहतरीन लगी आपकी रचना...अबयज़ ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/06351699314075950295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-90531055379293682042009-12-29T22:01:14.172+05:302009-12-29T22:01:14.172+05:30बीतता हुआ समय बीत जाता है, ऐसे
जैसे भर जाते हैं
बह...बीतता हुआ समय बीत जाता है, ऐसे<br />जैसे भर जाते हैं<br />बही खातों के पन्ने ,<br />जैसे चुक जाती हैं<br />कैलेंडर की तारीखें<br />फ़िर से लिखने के लिए नए पन्नो पर<br />पुराने हिसाब<br /><br />सोच रही हूँ क्या कहूँ .....आपने इतना सही जोड़ घटाव किया है वर्षों का कि विदा होते इस वर्ष को अलविदा कहते भी डर सा लगता है ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-71997737672581049132009-12-29T16:47:14.905+05:302009-12-29T16:47:14.905+05:30समय के सत्य का दर्शन.
धन्यवाद.समय के सत्य का दर्शन.<br /><br />धन्यवाद.36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-75932891200646822572009-12-29T00:49:48.209+05:302009-12-29T00:49:48.209+05:30समय की एक ईकाई 'दिन'
सुबह का सूरज
प्रवेश क...समय की एक ईकाई 'दिन'<br />सुबह का सूरज<br />प्रवेश करता है<br />छितिज से<br />असीम उर्जा लिए हुए<br />अनंत प्राणों में उडेलने को<br />बीतता हुआ समय बीत जाता है, ऐसे<br />जैसे भर जाते हैं<br />बही खातों के पन्ने ,<br />जैसे चुक जाती हैं<br />कैलेंडर की तारीखें<br />फ़िर से लिखने के लिए नए पन्नो पर<br />पुराने हिसाब<br />थोड़े फेर बदल के साथ<br />साल भर पुराने दोस्त से पल भर में<br />जुदाई है<br />बीतता हुआ वर्ष !<br />itni behtrin rachna ke saamne kuchh kahne laayak nahi rahe ,poore varsh ka vivran de dala ,ati sundarज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-65423373587372183962009-12-28T13:22:26.859+05:302009-12-28T13:22:26.859+05:30वाह .. बहुत अच्छी रचना। बहुत-बहुत धन्यवाद
आपको नव...वाह .. बहुत अच्छी रचना। बहुत-बहुत धन्यवाद <br />आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-66197526211772645282009-12-28T11:10:56.360+05:302009-12-28T11:10:56.360+05:30प्रारम्भ...उत्कर्ष...अंत- और इन तीनों को समेटती ये...प्रारम्भ...उत्कर्ष...अंत- और इन तीनों को समेटती ये कविता सिसकते 2009 के इन आखिरी क्षणों में...सामयिक, सुंदर, सटीक।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-35996071299399140632009-12-28T10:27:58.322+05:302009-12-28T10:27:58.322+05:30बीतता हुआ वर्ष, सपने संजोता है. संकल्प को दृढ़ता प्...बीतता हुआ वर्ष, सपने संजोता है. संकल्प को दृढ़ता प्रदान करता है.<br /><br />नव वर्ष मंगलमय हो<br /><br />- सुलभSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-35321069556909048622009-12-28T08:29:55.371+05:302009-12-28T08:29:55.371+05:30साल भर पुराने दोस्त से पल भर में
जुदाई है
बीतता हु...साल भर पुराने दोस्त से पल भर में<br />जुदाई है<br />बीतता हुआ वर्ष !-<br />यह पल भर की जुदाई फिर गहन मिलन की नई चाह भी तो उत्पन्न कर जाता है !<br />उम्दा रचना !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-29839157456879803792009-12-28T06:16:13.814+05:302009-12-28T06:16:13.814+05:30बहुत उम्दा लगी रचना.बहुत उम्दा लगी रचना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-52647513524443348592009-12-28T00:17:47.432+05:302009-12-28T00:17:47.432+05:30वक्त के दरवाजे पर नये साल से गले मिलने से पहले पिछ...वक्त के दरवाजे पर नये साल से गले मिलने से पहले पिछले साल के ३६५ पन्ने दोबारा पलटने का यह अलहदा अंदाज लगा...कुछ-कुछ फ़लसफ़ाना सा..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1442305289119486221.post-48576876437086643112009-12-28T00:03:12.722+05:302009-12-28T00:03:12.722+05:30समय की एक ईकाई दिन
सुबह का सूरज
प्रवेश करता है
छित...समय की एक ईकाई दिन<br />सुबह का सूरज<br />प्रवेश करता है<br />छितिज से<br />असीम उर्जा लिए हुए<br />अनंत प्राणों में उडेलने को<br />बीतता हुआ समय बीत जाता है, ऐसे<br />जैसे भर जाते हैं<br />बही खातों के पन्ने ,....<br /><br />बहुत अच्छी लगीं यह पंक्तियाँ.... पूरी कविता सच से सामना करा रही है,,,,, <br /><br />बहुत सुंदर कविता....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.com